मुंबई :बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिया हुआ जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार कैदियों सहित सभी पर लागू होता है. अदालत कथित माओवादी नेता निर्मला उप्पगंती (Maoist leader Nirmala Uppuganti's plea) की उस याचिका पर कानून के दायरे में सभी पहलुओं पर विचार करेगा, जिसमें उसे जेल से एक धर्मशाला (hospice) में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ ने स्थानांतरण का अनुरोध करने वाली उप्पगंती की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली और फैसला बाद में सुनाएगी.
वर्ष 2019 के गढ़चिरौली IED विस्फोट मामले में आरोपी उप्पगंती ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि उन्हें भायखला महिला जेल (Byculla women's prison) से धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया जाए क्योंकि वह कैंसर से पीड़ित हैं.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में एक मई 2019 को नक्सलियों द्वारा किए गए IED विस्फोट में गढ़चिरौली त्वरित प्रतिक्रिया दल के 15 सुरक्षाकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी. वरिष्ठ वकील युग चौधरी और वकील पायोशी रॉय के जरिए दाखिल अपनी याचिका में उप्पगंती ने बीमारी में देखभाल के लिए एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है ताकि 'अंतिम दिनों के दौरान उनकी ठीक से देखभाल की जा सके.'