मुंबई : सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मैनुअल 2021के नियमों को चुनौती देते हुए बंबई हाई कोर्ट में दो याचिका दाखिल हुई हैं. आई टी नियमों पर नकेल कसने के लिए दायर की गईं दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि यह नियम 'अस्पष्ट' और 'दमनकारी' हैं. समाचार वेबसाइट द लीफलेट और पत्रकार निखिल वागले की ओर से यह याचिकाएं दायर की गई हैं. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही पूछा है कि 2021 के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक क्यों नहीं दी जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने 12 अगस्त तक सरकार से जवाब मांगा है.
डिजिटल न्यूज पोर्टल 'द लीफलेट' और पत्रकार निखिल वागले द्वारा दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि नए नियम 'अस्पष्ट', 'कठोर' हैं. साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रभाव डालते हैं.
अनुच्छेद 19 का दिया हवाला
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत से अंतिम सुनवाई के बिना स्टे नहीं देने का आग्रह किया. द लीफलेट के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने पहले तर्क दिया था कि नए नियम ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का एक गलत प्रयास था.
उन्होंने कहा कि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम द्वारा निर्धारित मापदंडों और संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत निर्धारित सीमाओं से अलग जाते हैं. मंगलवार को, हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या वह याचिकाकर्ताओं से सहमत होने के साथ नियमों पर अंतरिम रोक लगा सकता है. अनुच्छेद 19 (जो बोलने की स्वतंत्रता और उसकी सीमाओं को परिभाषित करता है) के तहत प्रतिबंधों के उल्लंघन में कुछ भी प्रकाशित करें और केंद्र सरकार नए नियमों के तहत उनके खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई नहीं करने का वादा करती है, जब तक कि अदालत अपना अंतिम निर्णय नहीं दे देती.
दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकते