कर्नाटक CM के खिलाफ विवादित टिप्पणी मामले में BJP MLA हरीश पूंजा को हाईकोर्ट से मिली राहत
कर्नाटक केमुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ विवादित बयान मामले में बीजेपी विधायक हरीश पूंजा को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने दक्षिण कन्नड़ के बेलथांगडी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक हरीश पूंजा के खिलाफ दायर मुकदमे पर रोक लगा दी है.
बीजेपी विधायक हरीश पूंजा
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Published : Jun 10, 2023, 7:36 AM IST
बेंगलुरु:मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के आरोप में दक्षिण कन्नड़ के बेलथांगडी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक हरीश पूंजा के खिलाफ दायर मुकदमे पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा विधायक हरीश पूंजा द्वारा उनके खिलाफ मामले को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक आदेश जारी किया.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बहस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि यह मामला याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत मामला दर्ज करने के लायक नहीं है. इस वजह से देरी से हरीश पूंजा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. पूजा के बयान के बाद से शांति भंग की कोई घटना नहीं हुई है. उन्होंने पीठ के ध्यान में लाया कि यह बयान उकसाने वाला नहीं था. इस तथ्य की सराहना करते हुए खंडपीठ ने मामले पर रोक लगाने का आदेश दिया. दलीलों पर विचार करते हुए खंडपीठ ने जांच पर रोक लगा दी.
दरअसल, पूंजा ने हाल ही में कांग्रेस के लिए प्रचार करने वाले हिंदू कार्यकर्ताओं पर गुस्सा निकालते हुए विवादित टिप्पणी की थी. उनके इस बर्ताव का ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. हिंदू कार्यकर्ता सत्यजीत सुरथकल ने कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार किया था. पूंजा ने कहा था कि आपने सिद्धारमैया के लिए वोट मांगा, जिसने 24 हिंदू कार्यकर्ताओं को मार डाला, आपने कांग्रेस के लिए वोट मांगा, जो बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दे रही है.
इस भाषण के तुरंत बाद पूंजा के खिलाफ पुत्तूर, बेलथंगड़ी और बंटवाला थानों में अलग-अलग शिकायतें दर्ज की गईं. इससे संबंधित वीडियो रिकॉर्ड शिकायत करते हुए संबंधित थानों की पुलिस को सौंपे गए. साथ ही कहा था कि मुख्यमंत्री पर इस तरह के आरोप लगाना ठीक नहीं है. इसलिए शिकायत में अनुरोध किया गया कि हरीश पूंजा की जांच की जाए और उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए. सांप्रदायिक उकसावे और अभद्र भाषा के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस पर सवाल उठाते हुए विधायक ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.