भोपाल।दो उक्तियां मुद्दत से दोहराई जाती हैं, पहली यह कि, 'नाम में क्या रखा है.? गुलाब का कोई भी नाम हो, वह उतनी ही मीठी खुशबू बिखेरेगा. दूसरी कबीर ने कहा था कि, 'जात न पूछो साधु की' क्योंकि, साधु संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है. इसलिए उसकी जाति शेष नहीं रहती, लेकिन क्या हकीकत इससे बिलकुल जुदा है.? क्या वास्तविक जीवन में अब नाम और जाति ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.? मामला भोपाल के इस्लाम नगर का है. यहां का नाम जगदीशपुर करने की मांग की जा रही है. भोपाल में कथावाचक रामभद्राचार्य ने कहा कि, यदि भोपाल का नाम भोजपाल नहीं किया गया तो मैं भोपाल नहीं आऊंगा. इसके बाद सरकार ने इस पर सहमति दे दी, लेकिन मुद्दा यह है कि, पूर्व से जिस नाम को लेकर चर्चा चल रही है वह अब तक क्यों नहीं बदला गया.
सीएम का इंतजार:सितंबर 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से इस बात को लेकर सहमति मिल चुकी है कि, इस्लाम नगर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया जाए. यानी 5 माह पहले सहमति मिलने के बाद भी सरकार इस पर अब तक एक नोटिफिकेशन जारी नहीं कर पाई. दूसरी तरफ तमाम नेता भोपाल को भोजपाल करने के लिए सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगह कैंपेन चला रहे हैं. इस मामले में क्षेत्रीय विधायक विष्णु खत्री से जब बाकी तो बोले कि, यह बात सही है कि सहमति मिल गई है, बस सीएम कार्यक्रम के लिए समय दे दे तो हम विधिवत रूप से इसकी घोषणा कर देंगे. यानी जगदीशपुर को इंतजार हो रहा है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कि वे आए तो उसको अपना पुराना नाम मिल सके.
20 साल से चल रहा आंदोलन:इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर करने के लिए करीब 20 साल से आंदोलन चल रहा है. वर्ष 2001 में जब मध्य प्रदेश के भीतर कांग्रेस की सरकार थी. तब इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसके बाद वर्ष 2003 में भाजपा की सरकार बन गई और यदि तब से अब तक केवल 19 माह छोड़ दिए जाएं तो लगातार भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रही. मजेदार बात यह है कि इस अवधि में होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदा पुरम और हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया, लेकिन इस्लाम नगर का नाम बदलकर जगदीशपुर नहीं हो पाया.