दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

भीमा कोरेगांव हिंसा मामला : महाराष्ट्र के छह राजनीतिक दलों के प्रमुखों को समन के आदेश

कोरेगांव भीमा आयोग ने महाराष्ट्र के शिवसेना समेत छह राजनीतिक दलों के प्रमुखों को समन जारी करने का निर्देश दिया है (bhima koregaon case). वहीं, बंबई उच्च की एक पीठ ने एल्गार परिषद-मा‍ओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

bhima koregaon case
कोरेगांव भीमा जांच

By

Published : Jun 9, 2022, 9:01 AM IST

मुंबई : महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक स्मारक के पास जनवरी 2018 में भड़की हिंसा की जांच करने वाले कोरेगांव भीमा आयोग ने राज्य के छह राजनीतिक दलों के प्रमुखों को समन जारी करने का निर्देश दिया है. इन दलों में शिवसेना, कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य दल शामिल हैं. यह निर्देश एक अर्जी पर दिया गया है जिसमें कहा गया है कि उनकी उपस्थिति भविष्य में हिंसा की घटनाओं से बचने के उपाय सुझाने में सहायक होगी.

आयोग के वकील अधिवक्ता आशीष सतपुते ने आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जयनारायण पटेल के समक्ष एक अर्जी दी थी जिसमें शिवसेना नेता सीएम उद्धव ठाकरे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रकाश अंबेडकर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे, रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के रामदास अठावले और राज्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाना पटोले को समन जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

सतपुते ने अपने पत्र में कहा था कि (एक जनवरी 2018 को हुई) ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा उठाए जाने वाले लघु और दीर्घकालिक उपायों का सुझाव देने के वास्ते उपरोक्त राजनीतिक व्यक्तियों की उपस्थिति आयोग के समक्ष उपयोगी है. सतपुते ने कहा कि अर्जी को स्वीकार करते हुए आयोग के अध्यक्ष ने राज्य के छह राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को समन जारी करने का निर्देश दिया है. वे व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष पेश हो सकते हैं या उनकी ओर से उनका कोई प्रतिनिधि पेश हो सकता है. सतपुते ने आदेश का हवाला देते हुए कहा, 'आयोग के कार्यालय में 30 जून, 2022 तक एक हलफनामा दाखिल किया जाना है.'

हनी बाबू की जमानत याचिका पर सुनवाई से पीठ ने खुद को अलग किया : उधर, बंबई उच्च की एक पीठ ने एल्गार परिषद-मा‍ओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. बाबू ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ पिछले महीने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. बुधवार को जब याचिका न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की पीठ के समक्ष आई तो पीठ ने बिना कारण बताए खुद को सुनवाई से अलग कर लिया.

न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने तलोजा जेल में बंद एल्गार परिषद मामले के सह-आरोपी गौतम नवलखा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई से भी खुद को अलग कर लिया, जिन्होंने जेल में टेलीफोन कॉल की सुविधा उपलब्ध कराने समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने की अपील की थी. हनी बाबू को जुलाई 2020 में दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था। वह भी तलोजा जेल में बंद हैं.

पढ़ें-भीमा कोरेगांव हिंसा मामला: पटेल आयोग ने किया शरद पवार को तलब

ABOUT THE AUTHOR

...view details