नई दिल्ली:देश में किसानों के आंदोलन की समाप्ति के बाद अब मजदूरों का संघर्ष जोर पकड़ने की तैयारी कर रहा है. एक ओर जहां ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग लगातार उठ रही है. वहीं दूसरी तरफ नये श्रम कानूनों के विरोध में देश के कई केंद्रीय ट्रेड यूनियन एक होकर देशव्यापी हड़ताल की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन आरएसएस की श्रमिक इकाई भारतीय मजदूर संघ (Indian labor union) ने स्वयं को आगामी 28 और 29 मार्च के देशव्यापी हड़ताल से अलग रखने का निर्णय लिया है.
श्रमिकों से जुड़े विषयों और देशभर में चल रहे आंदोलन के विषय में ईटीवी भारत ने भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा से विशेष बातचीत की. उन्होने कहा कि देश में श्रमिकों के कई मुद्दों पर अलग-अलग राज्यों में मजदूर संघ का संघर्ष लगातार जारी है. वहीं, भारतीय मजदूर संघ ने देशव्यापी आंदोलन का आवाह्न भी किया है. मजदूर संघ संवाद और संघर्ष दोनों में विश्वाश रखता है, लेकिन कुछ संगठन केवल संघर्ष कर श्रमिकों के मूवमेंट को श्रमिकों की राजनीति में बदल देते हैं.
देश में लागू होना चाहिए वन नेशन वन पेंशन ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) पर बात करते हुए बिनय सिन्हा कहते हैं कि मजदूर संघ की यह पुरानी मांग रही है कि पूरे देश में एक यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लागू होनी चाहिये. जिस तरह से सरकार ने 'एक देश एक टैक्स' और 'एक देश एक राशन कार्ड' किया उसी तर्ज पर सरकार को 'वन नेशन वन पेंशन' भी कर देना चाहिये. आज देश में अलग-अलग सेक्टर में 45 तरह की पेंशन योजना चल रही है.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपने हालिया बजट में घोषणा की है कि वह पुरानी पेंशन योजना को लागू करेंगे. भारतीय मजदूर संघ ने इसका स्वागत किया है बशर्ते कि यह घोषणा क्रियान्वयन तक पहुंचे. बीके सिन्हा कहते हैं कि मजदूर संघ सरकार के ऐसे किसी भी निर्णय का स्वागत करता है जो श्रमिकों के हित में हो. कहा जाता है कि कुछ अन्य विपक्षी पार्टी द्वारा शासित राज्य भी अपने कर्मचारियों के लिये ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा कर सकते हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करना वास्तविकता में मुश्किल काम है.
भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री कहते हैं कि संभव है ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़े, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिये कि भारत एक कल्याणकारी देश है. उसके नाते यह समझना चाहिये कि जो लोग अपने जीवन के स्वर्णिम काल देश के विकास में योगदान देते हैं वह हमारे लिये सेवानिवृत होने के बाद बोझ नहीं होने चाहिये. नये श्रम कानूनों पर भारतीय मजदूर संघ की सहमति और असहमति दोनों है. लेबर कोड के कुछ प्रावधान की संघ सराहना करता है जबकी कुछ प्रावधानों पर उन्हें आपत्ति है और इसके लिये वह सरकार से संशोधन की मांग करते रहे हैं. जब राज्य सभा में एक सांसद द्वारा श्रम कानूनों को रद्द करने के लिये प्राइवेट मेंबर बिल लाया गया तो मजदूर संघ ने इसका विरोध करते हुए उपराष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था.
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भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री कहते हैं कि नये लेबर कोड में कई ऐसी चीजें हैं जो पिछले 70 वर्षों में किसी अन्य सरकार ने नहीं किया. पहली बार किसी सरकार ने 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सुरक्षा के लिये सोचा है. OSH कोड और wage कोड जैसे कदम ऐतिहासिक हैं जिससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरो का लाभ होगा. संघ इसका स्वागत करता है, लेकिन वहीं आईआर कोड ट्रेड यूनियन के विरुद्ध है और मजदूर संघ इसका विरोध करता है. संघ इसके लिये सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ने की तैयारी में भी जुटा है. बिनय सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि सरकार बीएमएस के विचारों से सहमत होगी और इसमें संशोधन लायेगी.