नई दिल्ली : सियाचिन में बाना टॉप पोस्ट के पास दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध का मैदान इंसान के लिए क्रूरतम प्राकृतिक इलाकों में एक है. यहां इंसान की गलतियां प्रकृति माफ नहीं करतीं. यह ध्रुवीय इलाकों के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा ग्लेसियर है. यह कम ऑक्सीजन वाला ऐसा मृत्यु क्षेत्र है, जहां नियंत्रण रखने की कीमत संसाधनो का बड़ा खर्च और इंसान की जान है.
20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है पोस्ट
इसी पोस्ट के आसपास समूद्री तल से करीब 20,000 फीट की उचांई पर, ठंड के कारण जमा मोटी बर्फ और उसके ऊपर हुई बर्फबारी की वजह से एक बर्फीली चट्टान टूट कर पेट्रोलिंग कर रही भारतीय सेना की एक टीम पर आ गिरी. सोमवार को हुए इस हिमस्खलन में इलाके की नियमित गश्त कर रहे भारतीय सेना के आठ जवान बर्फ के नीचे दब गये.
सियाचिन के पहाड़ों के बीच स्थित बाना पोस्ट पर भले ही एक घास तक नहीं उगती, लेकिन यहां और इसके आस पास से सॉल्टोरो रिज और सियाचिन ग्लेशियर तक नजर रखी जा सकती है. यही वजह है कि बाना पोस्ट सामरिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही इसकी अहमियत इसलिए भी है कि यह देश का सबसे बड़ा ताजा पानी का श्रोत है.
उल्लेखनीय है कि 21000 फीट ऊंची बाना पोस्ट को सूबेदार मेजर और कैप्टन बाना सिंह के वीरतापूर्ण कारनामों के लिए गर्व से याद किया जाता है, जिन्होंने 26 जून 1987 को 15000 फीट की ऊंचाई पर, एक छोटी टीम का नेतृत्व करते हुए खूनी जंग के बाद पोस्ट को पाकिस्तान के कब्जे से वापस ले लिया था.
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एक आपातकालीन बचाव में प्रशिक्षित पेशेवर, खोजी कुत्ते, ऊंचाई पर इस्तेमाल होने वाले उपकरण, सैन्य हेलीकॉप्टर होने और बेतरीन प्रयास के बावजूद सब व्यर्थ हो गया. जब तक बर्फ के नीचे दबे जवानों को बाहर निकाल कर उन्हे चिकित्सा उपचार दिया गया, तब तक हाड़ जमा देने वाली ठंड और अत्यधिक उचांई के खतरे ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था. सेना के चार जवान और दो सिविलियन पोर्टर अपनी जान गंवा चुके थे.