अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (पंचाट) में वोडाफोन होल्डिंग्स बीवी के खिलाफ 20 हजार करोड़ रुपए के कर मांग के मामले में हार के बाद भारत के पास दो विकल्प हैं. भारत या तो मामले को तूल न देकर शांत बैठ सकता है या सिंगापुर के उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में वोडाफोन का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता अनुराधा दत्त यह बात कही.
डीएमडी एडवोकेट्स की वरिष्ठ साझीदार अनुराधा दत्त ने ईटीवी भारत के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि न्यायाधिकरण ने माना है कि भारत सरकार ने भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते (बीआईपीए ) के तहत उचित और न्यायसंगत व्यवहार के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. अधिवक्ता अनुराधा दत्त का कहना है कि भारत के पास दो विकल्प हैं- या तो वह इस फैसले को स्वीकार कर इस मुद्दे को छोड़ सकता है या सिंगापुर उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है. हालांकि, सिंगापुर उच्च न्यायालय का फैसला भी अंतिम नहीं हो सकता है क्योंकि जो पक्ष फैसले से नाखुश होगा वह सिंगापुर की अपीलीय अदालत में इस आदेश को चुनौती दे सकता है.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पास दो उपाय हैं. पहला है सिंगापुर का उच्च न्यायालय और फिर सिंगापुर की अपीलीय अदालत. उसके बाद सरकार के लिए कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ उपलब्ध सरकार के पास उपलब्ध विकल्पों की व्याख्या करते हुए यह जानकारी दी.
समयबद्ध सुनवाई नहीं
वोडाफोन होल्डिंग्स बीवी की ओर से डीएमडी एसोसिएट्स की टीम का नेतृत्व करने वाली अनुराधा दत्त का कहना है कि हालांकि ऐसे मामलों में समयबद्ध सुनवाई का कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि न्यायालयों के अपनी अनुसूची है लेकिन सिंगापुर का न्यायालय अन्य अदालतों की तुलना में तेज है.
13 साल पुराना है टैक्स विवाद
आयकर विभाग ने वर्ष 2007 में वोडाफोन-हच सौदे पर 7 हजार 900 करोड़ रुपए के कर की मांग की. वोडाफोन ने इस मांग को बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने तत्कालीन संप्रग सरकार को पूर्व के प्रभाव से कर कानूनों में संशोधन करने के लिए प्रेरित किया ताकि इस तरह के लेनदेन को कर के दायरे में ला सके. देश के बाहर करीब छह साल तक चले मुकदमे की सुनवाई के बाद वोडाफोन के मामले को भारत सरकार हार गई.
वोडाफोन के खिलाफ भारत का मामला क्या है ?
वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग (एक नीदरलैंड कंपनी ) ने हचिसन टेलीकॉम इंटरनेशनल लिमिटेड से 11.1 बिलियन डॉलर में सीजीपी इन्वेस्टमेंट्स (होल्डिंग) लिमिटेड (सीजीपी लिमिटेड ) (एक केमैन आइलैंड्स कंपनी ) के 100 फीसद शेयर खरीद लिए.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सीजीपी लिमिटेड ने अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय कंपनी सचिसन इस्सार लिमिटेड (एचईएल ) के 67 फीसद हिस्से को नियंत्रित किया है. इस अधिग्रहण के माध्यम से वोडाफोन ने एक भारतीय कंपनी - हचिसन एस्सार लिमिटेड को अपने नियंत्रण में ले लिया.