मुजफ्फरनगर : कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन और मजबूत हो गया. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के बड़े नेता के रूप में राकेश टिकैत उभर आए हैं. लेकिन बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी और 1990 के दशक में उनके सलाहकार रहे वीरेंद्र सिंह ने टिकैत बंधुओं पर संगीन आरोप लगाया है.
1990 के दशक में किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी रहे वीरेंद्र सिंह ने कहा कि विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पंजाब के नशा माफिया इस आंदोलन को फाइनेंस कर रहे हैं. इतना ही नहीं भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत में दुर्योधन की आत्मा आ गई है. कोई कृष्ण इन्हें नहीं समझा सकता. वो भी नहीं समझा था, ये भी समझने को तैयार नहीं है.
वीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस की घटना को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि यह किसान का काम नहीं है. यह काम देश विरोधी ताकतों का है जिन्हें विदेशी ताकतें फाइनेंस कर रही हैं. यहीं ताकतें सीएए आंदोलन को भी फाइनेंस कर रही थीं और अब इस आंदोलन को भी भड़का रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग बता दें कि आखिर सारी व्यवस्था कहां से आ रही है.
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में हुआ करता था. जब बाबा टिकैत पेड़ के नीचे हाथ पर रोटी सब्जी लेकर आंदोलन का निर्णय करते थे, आज आंदोलन फाइव स्टार हो गए हैं. हमें दिल्ली में 48 घंटे तक खाना नसीब नहीं हुआ था. 48 घंटे बाद चौधरी देवी लाल ने ब्रेड और पानी भिजवाया था. उस दौरान देवीलाल के साथ लालू प्रसाद यादव आये थे.
'चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी'