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सबरीमाला मुद्दे पर झूठ फैला रहे हैं मोदी : विजयन

राज्य की राजधानी से लगभग 70 किलोमीटर दूर कोल्लम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विजयन ने मोदी की कोझिकोड रैली के दौरान गिरफ्तार वाले बयान का जिक्र किया.

पिनाराई विजयन और नरेंद्र मोदी. डिजाइन फोटो.

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Published : Apr 14, 2019, 7:16 PM IST

कोल्लम (केरल): केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर झूठा बताया है. एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए विजयन ने कहा कि मोदी पड़ोसी राज्यों में सबरीमाला के बारे में बोल रहे हैं जबकि केरल में उन्होंने पिछले हफ्ते कोझिकोड में एक रैली को संबोधित करने के दौरान धर्मस्थल का नाम नहीं लिया था.

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मोदी यह कहते हुए घूम रहे हैं कि अगर कोई केरल में चुनाव प्रचार के दौरान सबरीमाला शब्द बोलता है, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. यह निराधार और एक बड़ा झूठ है.'

विजयन ने कहा, 'हमने जो किया वह सबरीमाला पर शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन करने के लिए किया. जिन लोगों ने कानून के शासन का उल्लंघन किया, उन्हें गिरफ्तार किया गया.'

तमिलनाडु और कर्नाटक में चुनावी रैलियों को संबोधित करने के दौरान उन भक्तों की गिरफ्तारी को लेकर मोदी ने विजयन के खिलाफ बयान दिए थे, जिन्होंने सबरीमाला की परंपरा और संस्कृति के उस रूप के उल्लंघन का विरोध किया था, जिसका अब तक पालन होता आ रहा था.

विजयन का बयान.

विजयन ने कहा, 'प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को भी ऐसा करना पड़ेगा और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करना होगा.'

उन्होंने कहा, 'हमारे देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए, हमें शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करना होगा. यही हमने किया है. लेकिन, संघ परिवार ने अपराधियों को (शहर में) भेजा दिया.'

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विजयन ने कहा, 'मुझे यकीन है कि मोदी ने सबरीमाला मंदिर शहर में अशांति पैदा करने में भी भूमिका निभाई होगी.' उन्होंने मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के लिए लोगों से वोट करने के लिए कहा.

माकपा के सचिव कोदियारी बालाकृष्णन ने रविवार को मीडिया को बताया कि सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन करने वाली 'सबरीमाला कर्म समिति' दरअसल आरएसएस की 'कर्म समिति' थी और इसके नेता स्वामी चितानंद पुरी कोई 'स्वामी' नहीं बल्कि आरएसएस नेता हैं.

स्वामी ने शनिवार को लोगों से सबरीमाला मंदिर की परंपरा और संस्कृति का विरोध करने वालों को हराने का आग्रह किया था.

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