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कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए बजट सत्र में विधेयक लाए सरकार : तृणमूल

किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की. तृणमूल नेता सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन
सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन

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Published : Jan 25, 2021, 7:18 PM IST

Updated : Jan 25, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली : तृणमूल नेता सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. दोनों नेताओं ने सोमवार को कहा कि इन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक लाया जाना चाहिए.

नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर तृणमूल का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है. संसद के आगामी सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए बजट सत्र में सरकार को विधेयक लाना चाहिए. दोनों नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री को एक सप्ताह में सत्र बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में ये बिल कैसे पास कराए गए हैं हर किसी ने 'लोकतंत्र की हत्या' होते हुए देखी है.

तृणमूल कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

दोनों नेताओं ने पश्चिम बंगाल सरकार की कृषक बंधु योजना को पीएम-किसान योजना से बेहतर बताया. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि कृषक बंधु योजना में बंगाल सरकार किसानों को 5000 रुपए प्रति एकड़ दे रही है जबकि पीएम-किसान योजना में केवल 1214 रुपए प्रति एकड़ की पेशकश है.

कृषक बंधु का कवरेज 100% है, जबकि पीएम किसान योजना का 92 फीसदी ही है. बंगाल में 18 से 60 साल के किसान की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसके परिवार को दो लाख रुपए भी दिए जाते हैं.

तृणमूल सांसद ने कहा कि कृषक बंधु का दायरा सभी किसानों के लिए खुला था, जबकि पीएम-किसान योजना केवल लघु और सीमांत किसानों तक सीमित थी. तृणमूल सांसदों ने इस तथ्य को गलत बताया कि जून 2019 से सभी किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ मिल रहा है या अब हर तरह के किसान पीएम-किसान योजना का लाभ उठा रहे हैं.

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किसानों का आंकड़ा न देने का सवाल टाल गए

पश्चिम बंगाल देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के किसी किसान के पास पीएम-किसान योजना नहीं है, क्योंकि राज्य ने केंद्र को किसानों का आंकड़ा नहीं भेजा. इस बारे में पूछे जाने पर कि केंद्र की योजना का लाभ क्यों नहीं लेने दिया गया, दोनों नेताओं ने कहा कि वे चाहते हैं कि हर किसान को राज्य और केंद्र दोनों से दोहरा लाभ मिले. लेकिन आंकड़ा क्यों नहीं भेजा गया? इसका जवाब नहीं दिया.

Last Updated : Jan 25, 2021, 8:00 PM IST

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