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ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, बंगाल में रोकी गईं ट्रेनें

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Published : Jan 8, 2020, 8:19 AM IST

Updated : Jan 8, 2020, 4:04 PM IST

बंद के चलते यातायात ठप

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बंगाल में बंद

बंद समर्थकों ने पश्चिम बंगाल के हावड़ा और नार्थ 24 परगना में ट्रेनें रोक दी हैं. वहीं बस स्टैंड पर भी बसें रोक दी गईं हैं. इसके बाद यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

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ट्रेड यूनियनों का भारत बंद

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की नीतियों मसलन श्रम सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निजीकरण के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल है. सरकार की 'जन- विरोधी' नीतियों के खिलाफ की जा रही इस हड़ताल में देशभर में 25 करोड़ लोगों के भाग लेने की उम्मीद है.

ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान बैंक सेवायें प्रभावित हो सकतीं हैं. देश की दस केन्द्रीय मजदूर यूनियनों ने इस हड़ताल का आह्वान किया है.

ज्यादातर बैंकों ने इस हड़ताल और इससे उनकी सेवाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में शेयर बाजारों को सूचित कर दिया है.

बैंक कर्मचारियों की ज्यादातर यूनियनों ने भी हड़ताल में भाग लेने और उसका समर्थन करने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है.

बैंक कर्मचारियों की अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए), अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए), भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघों और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ सहित विभिन्न यूनियनों ने हड़ताल का समर्थन करने का फैसला किया है.

बैंकों में राशि जमा करने, निकासी करने, चेक क्लियरिंग और विभिन्न वित्तीय साधनों को जारी करने का काम हड़ताल की वजह से प्रभावित हो सकता है. हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों में सेवाओं पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है.

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिन्द मजदूर सभा (एचएमएस), कन्फेडरेशन आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के अलावा टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी तथा विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र यूनियनों और महासंघों ने पिछले साल सितंबर में ही आठ जनवरी 2020 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी थी.

दस कर्मचारी संघों के परिसंघ ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, 'श्रम मंत्रालय कर्मचारियों की किसी भी मांग को लेकर आश्वासन नहीं दे पाया. मंत्रालय ने दो जनवरी 2020 को कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी. सरकार की नीतियों और कार्रवाई से लगता है कि सरकार श्रमिकों के प्रति रवैया ठीक नहीं है.'

इसमें कहा गया है, 'हमारा मानना है कि आठ जनवरी 2020 को होने वाली आम हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कामकाजी लोग भागीदारी करेंगे. सरकार की कर्मचारी विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ इस हड़ताल के बाद और भी कदम उठाये जायेंगे.

सरकार की कर्मचारियों को चेतावनी, हड़ताल पर गए तो नतीजा भुगतने को तैयार रहें. केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को चेताया है कि यदि वे आठ जनवरी को हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका ‘नतीजा’ भुगतना पड़ेगा. कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है.

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और विभिन्न क्षेत्रों में उनसे संबद्ध कर्मचारी यूनियनों ने श्रमिकों और कर्मचारियों को आठ जनवरी को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ हड़ताल में शामिल नहीं है. यूनियनों ने अपनी 12 सूत्रीय मांगों के लिए हड़ताल बुलाई है. इनमें न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं.

बयान में कहा गया है, 'श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिको को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है.'

बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.

ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है और देशभर में छात्रों तथा शिक्षकों को समर्थन देने की घोषणा की है.

यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.

Last Updated : Jan 8, 2020, 4:04 PM IST

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