पटना : बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों क्रमश: ममता बनर्जी और पी विजयन को चुनौती दी कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करें, यदि वे ऐसा कर सकते हैं.
सुशील मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर चर्चा करने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, 'एनपीआर और एनआरसी दो अलग अलग चीजें हैं.' उन्होंने कांग्रेस और राजद पर इसको लेकर और सीएए को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान सहित कोई भी राज्य सीएए या एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि केंद्र को नागरिकता को लेकर कानून लाने का अधिकार है. एनपीआर तैयार करना एक वैधानिक प्रावधान है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता.'
उन्होंने कहा, 'कोई भी मुख्यमंत्री सीएए और एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता, चाहे वह इनके विरोध में क्यों न हो. ना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ना केरल के मुख्यमंत्री वी विजयन ही यह कह सकते हैं कि वे अपने राज्यों में एनपीआर लागू नहीं करेंगे. वे जनता के लिए कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन वे सीएए और एनपीआर को ना नहीं कह सकते...पश्चिम बंगाल सहित प्रत्येक राज्य में जनगणना निदेशक की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है.'
एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया 2010 में संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी जो उस वर्ष एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक पूरी हुई.'
केंद्र 2010 के एनपीआर को 2021 में जनगणना के पहले 2020 में केवल 'अद्यतन' कर रहा है.
सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक चलायी जाएगी. बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी.