हैदराबाद : भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां नब्बे करोड़ से अधिक मतदाता हैं. हालांकि भारत में प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए बनाई गई मतदाताओं की सूची की वर्तमान स्थिति खासी अच्छी नहीं है.
भारत रत्न बीआर अंबेडकर ने कहा था कि मतदाताओं की सूची और मतदाताओं से जुड़ी जानकारी तैयारी करना एक कर्तव्य है, जिसे पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया जाना चाहिए. केंद्र और राज्य स्तर पर चुनाव समितियां दशकों से अपने इस कर्तव्य को निभाने में विफल रही हैं, जो की चिंताजनक है.
हाल ही में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक मतदाता सूची तैयार करने के प्रयास को तेज कर दिया है.
संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा को चुनाव के लिए एक निश्चित मतदाता सूची बनाए रखनी होती है. इसके साथ ही स्थानीय निकायों और राज्य निकायों को चुनाव के लिए मतदाता सूची का संकलन करते हुए अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करना होता है.
चुनाव आयोग देश भर में एक ही मतदाता सूची की शुरुआत का समर्थन कर रहा है, जिसके बाद लगभग 22 राज्य- यूपी, उत्तराखंड, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश, केरल, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड जैसे राज्य केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार की गई सूचियों पर भरोसा करते हैं.
एक मतदाता सूची तैयार करने का उद्देश्य व्यर्थ व्यय की पुनरावृत्ति से बचाना है. इसके लिए संबंधित राज्यों के कानूनों में विशिष्ट परिवर्तन लाना होगा. हालांकि देश में एक ही मतदाता सूची तैयार करना अच्छा विचार है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या इस सूची की प्रामाणिकता विश्वसनीय होगी या नहीं.