रायपुर :वह शख्स जिसने कला की रोशनी से रंगमंच को रोशन कर दिया, वक्त गुजरा और हमने उनकी चमक भुला दी, जिनके अभिनय ने हमें मनोरंजन का खजाना दिया, वह इतने गुमनाम हुए कि उनकी मुट्ठी दो रोटी के लिए भी खाली है. विश्व रंगमंच दिवस पर आज हम आपको ऐसी ही एक कलाकार से रूबरू करा रहे हैं, जिनके पति के नाम से कभी छत्तीसगढ़ में आयोजित हर मंच में जान आ जाती थी, लेकिन आज वह अंधेरे में जिंदगी की किरणें तलाशती हैं.
एक दौर था जब हबीब तनवीर के नाटकों में रामनाथ का तबला जान डाल दिया करते थे. उन्होंने ‘चरणदास चोर’ जैसे क्लासिक प्ले में भी तबला बजाया था, लेकिन आज उनका परिवार गुमनामी में जीने को मजबूर है. रामनाथ साहू के निधन के बाद उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई मुश्किल से गुजर-बसर कर रही हैं.
भावुक हो गईं लक्ष्मीबाई
कोई सहारा नहीं मिलने पर दर-दर की ठोकर खा रही लक्ष्मीबाई को गायिका रमा जोशी ने अपने घर में स्थान दिया. आज वह रमा जोशी के साथ ही रहती हैं और उन्हीं के साथ नाटक आदि में काम करती हैं. कई दशकों से छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को पूरे देश में फैलाने वाली लक्ष्मीबाई से जब ईटीवी भारत ने बात की, तो उनकी आंखें भर आईं.