नई दिल्ली : ओडिशा के पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एएस.ए.बोबेडे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय खंडपीठ में पुरी रथयात्रा को लेकर सुनवाई चल रही है. नागपुर में वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए मुख्य न्यायाधीश सुनवाई कर रहे हैं.
आपको बता दें कि इससे पहले एकल खंडपीठ में रथयात्रा की सुनवाई चल रही थी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से कहा है कि सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता. यह करोड़ों की आस्था का सवाल है. यदि भगवान जगन्नाथ कल नहीं आएंगे, तो वह 12 साल तक परंपराओं के अनुसार नहीं आ सकते हैं. श्रीजगदगुरू आदिशंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वह सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव है. साथ ही लोग टीवी पर लाइव टेलीकास्ट भी देख सकते हैं.
गौर हो कि इससे पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की एकल पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने सुझाव दिया कि सदियों से चली आ रही एक रस्म को बाधित नहीं किया जाना चाहिए.
ऐतिहासिक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा को लेकर केंद्र ने कहा कि रथ यात्रा में केवल ऐसे लोग जिनकी कोविड जांच रिपोर्ट नकारात्मक हो और भगवान जगन्नाथ मंदिर में काम कर रहे हैं, अनुष्ठान का हिस्सा हो सकते हैं. केंद्र ने कहा कि संपूर्ण रथयात्रा का सीधा प्रसारण किया जा सकता है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को वार्षिक पुरी रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी. कोरोना महामारी की वजह से पुरी रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं.
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि गत सैकड़ों वर्षों से अनवरत रूप से पुरी में निकाली जाने वाली भगवान श्रीजगन्नाथ की परंपरागत रथ यात्रा इस वर्ष भी निकाली जानी चाहिए. कोरोना महामारी के संकट काल में भी सभी नियमों तथा जन स्वास्थ्य संबंधी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है.
यात्रा की अखण्डता सुनिश्चित करने हेतु कोई मार्ग अवश्य खोजना चाहिए. आज की परिस्थितियों में यह अपेक्षा कदापि नहीं है कि यात्रा में दस लाख भक्त एकत्रित हों. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना भी की.
वहीं पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रुकवाने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है.
इस साल की रथ यात्रा रद्द होने पर निराशा जताते हुए शंकराचार्य ने कहा, वार्षिक समारोह को रोकने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है. एक वीडियो संदेश में पुरी के शंकराचार्य ने कहा, उच्चतम न्यायालय 20 जून को समीक्षा याचिका स्वीकार कर सकता था जिसमें उसके 18 जून के स्थगनादेश में संशोधन करने का अनुरोध किया गया था.
ओडिशा सरकार ने रविवार को कहा कि वह श्रद्धालुओं के एकत्रित हुए बगैर जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब के अनुरोध पर कानूनी रूप से 'अनुकूल कदम' उठाएगी. उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के चलते इस साल यात्रा पर रोक लगा दी है.
उच्चतम न्यायालय द्वारा वार्षिक रथ यात्रा पर बृहस्पतिवार को रोक लगाने के बाद राज्य सरकार इस मामले में दखल देने के लिए विभिन्न वर्गों के दबाव का सामना कर ही रही है.
पढ़ें :जगन्नाथ रथयात्रा निकालने के अनुरोध पर अनुकूल कदम उठाए जाएंगे : ओडिशा सरकार
ओडिशा के कानून विभाग ने एक बयान में कहा, 'जब माननीय उच्चत्म न्यायालय में 2020 की रिट याचिका संख्या 571 सुनवाई के लिए आएगी तो राज्य सरकार गजपति महाराज के अनुरोध पर कानूनी रूप से अनुकूल कदम उठाएगी.'
आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिब्यसिंह देब ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखा था उन्होंने पत्र में 18 जून के आदेश में आंशिक संशोधन के लिए उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को तुरंत संपर्क करने का निवेदन किया, ताकि पुरी रथ यात्रा को अनुमति मिल सके.
कोरोना महामारी के चलते इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रोक लगा दी. आपको बता दें कि यह रथ यात्रा 23 जून को होनी थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.
हालांकि, आदेश को वापस लेने के लिए याचिका भी दायर की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से 18 जून के अपने आदेश को वापस लेने और संशोधित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह लाखों भक्तों की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है.
आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अगर हम इस साल रथ यात्रा आयोजित होने देते तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.
यह रथ यात्रा महोत्सव 10 से 12 दिन चलता है, जो 23 जून को शुरू होने वाला था और रथ यात्रा की वापसी 'बहुदा जात्रा' की तारीख एक जुलाई निर्धारित है.