नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किये गये लकवा से ग्रस्त एक व्यक्ति की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार से जवाब मांगा है.हिरासत शिविर में 24 मार्च, 2017 से बंद अजीजुल हक को असम में न्यायाधिकरण ने एकतरफा कार्यवाही में विदेशी घोषित कर दिया. अब उसके सिर पर बांग्लादेश भेजे जाने का खतरा मंडरा रहा है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने अजीजुल हक की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.
बता दें, इन्हें दो सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है.
न्यायाधिकरण और गौहाटी उच्च न्यायालय ने अजीजुल हक को इस आधार पर विदेशी घोषित कर दिया कि वह या उसका कोई प्रतिनिधि उनके समक्ष पेश नहीं हुआ. अजीजुल हक का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल था.
हक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा कि विदेशी नागरिकों की पहचान करने वाले न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय ने उसे अवैध विदेशी बताकर वापस भेजने की आवश्यकता के निष्कर्ष पर पहुंच कर गलती की है.