बेंगलुरु : जल मनुष्य के लिए प्रकृति का कीमती उपहार है. पानी को सहेज कर रखना हर व्यक्ति का दायित्व है. कर्नाटक के हुबली जिले में देशपांडे फाउंडेशन के नेतृत्व में लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है.
इस अभियान में जल संरक्षण परियोजनाएं जैसे जल संचय, सिंचाई और टैंकों के जीर्णोद्धार पर काम किया जा रहा है. पहले भी इस जिले के छात्रों ने जागरुकता अभियान में भाग लिया था.
पृथ्वी पर जल तीन स्वरूपों में उपलब्ध है-
- तरल जल- समुद्र, नदियां, झरने, तालाब, कुएं आदि.
- ठोस जल (बर्फ)- पहाड़ों और ध्रुवों पर जमी बर्फ.
- वाष्प (भाप)- बादलों में भाप.
ऐसे करें जल संरक्षण
- वर्षा के पानी को स्थानीय जरूरत और भौगोलिक स्थितियों के हिसाब से संचित किया जाए.
- भूमि के अंदर जल पहुंचाने के लिए जहां भी संभव हो छोटे-छोटे तालाब बनाकर उनमें वर्षा जल एकत्रित करें.
- घर की छतों का पानी, घर में टैंक बनाकर एकत्रित करें. स्कूल, कॉलेज, अन्य सरकारी व गैर-सरकारी भवनों की छत का पानी भी व्यर्थ न बहने दें. इमारत के आगे-पीछे जहां भी जगह हो टैंक बनाकर छत से बहने वाले पानी को पाइपों से इकट्ठा करने की व्यवस्था करें.
- तालाब, एनीकट की पाल को दुरुस्त करें, जिससे उनमें भरने वाला पानी फालतू न बहे. तालाब, एनीकट की भराव क्षमता बढ़ाने के लिए उसमें से मिट्टी खोदकर बाहर निकालें.
- पहाड़ी एवं ऊबड़-खाबड़ भूमि पर मेड़बंदी कर वहां भी जल एकत्रित करें. अपने-अपने खेतों में मेड़बंदी करें. खेती के लिए पानी भी इकट्ठा होगा, मिट्टी भी बहने से रुकेगी और भूजल भी बढ़ेगा.
- गांव-गांव और शहर-शहर में बने हुए जलस्रोतों का पुनरुद्धार करें. इनमें जमा कूड़े-कचरे, मिट्टी व कंकड़ को बाहर निकालें.
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जो लोग जल संरक्षण में जागरुकता फैलाने में रुचि रखते हैं वह गुरुसिद्धैया कन्नूर म्यूट (9900035214) से अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं.