वॉशिंगटन : अमेरिका के यूवान्सटन शहर में स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि सामान्य फिटनेस ट्रैकर कोविड-19 के लक्षणों को पहचानने में सक्षम नहीं हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह उपकरण इस जटिल बीमारी की निगरानी करने के लिए जरूरी तकनीक से लैस नहीं हैं.
बायोइलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र के अग्रणी जॉन ए रॉजर्स के नेतृत्व में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की टीम ने जर्नल साइंस एडवांसेज में अपना शोध प्रकाशित किया है. शोध में लोकप्रिय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे फिटनेस ट्रैकर और क्लिनिकल-ग्रेड मॉनिटरिंग सिस्टम के बीच के अंतर को बताया गया है.
रॉजर्स इसके सह-लेखक हैं. उनके अलावा डॉ शुआई जू, नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन डर्मेटोलॉजिस्ट और रॉजर्स लैब में पोस्टडॉक्टरल फेलो ह्ययुंग जियोंग इस शोध पत्र के लेखक हैं.
अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन के जर्नल के मुताबिक कोविड-19 के सबसे शुरुआती लक्षणों में बुखार, सांस लेने में तकलीफ और खांसी है. रॉजर्स ने कहा कि इन लक्षणों का पता लगाने के लिए फिटनेस ट्रैकर आदर्श नहीं है. यह इसलिए क्योंकि उसे कलाई पर पहना जाता है, जो कोविड-19 का पता लगाने या उसकी निगरानी करने के लिए शरीर पर सबसे आदर्श स्थान नहीं है.
कुछ माह पहले रॉजर्स के समूह और शर्ली रायन एबिलिटीलैब ने एक उपकरण विकसित किया था. उसके एल्गोरिदम को इस तरह से लिखा गया है कि वह आसानी से कोविड-19 के लक्षणों की पहचान कर सकता है. यही नहीं यह कोविड-19 के मरीजों की निगरानी भी कर सकता है. यह उपकरण एक पोस्टेज स्टैंप जितना बड़ा है. इस कोमल और लचीले उपकरण को सुप्रास्टर्नल नॉच (गले पर कॉलर बोन के बीच की जगह) के ठीक नीचे लगाया जाता है. यह स्थान सांस जे जुड़े रोगों की निरानी करने के लिए आदर्श है.
हाल ही में रॉजर्स की टीम ने गले पर लगे पैच से पेयर करने के लिए एक पल्स ऑक्सीमीटर भी निकाला था. इसकी मदद से चिकित्सक मरीज के रक्त में ऑक्सीजन के स्तर पर निगरानी रखते हैं. बता दें कि कोविड-19 के एसिम्टोमैटिक मरीजों में देखा गया है कि उनके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है. इस स्थिति को हाईपॉक्सिया कहते हैं. इसकी मदद से बिमारी का पता लगाया जा सकेगा और उसका तत्काल उपचार करने में मदद मिलेगी.