दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

अश्वेत बनाम श्वेत अमेरिकी : शोषण, नरसंहार और अधिकार

अमेरिका में अश्वेतों और श्वेतों के बीच टकराव एक बार फिर विवादास्पद मुद्दा बन गया है. यह विवाद बौद्धिक आधार पर नहीं बल्कि अमेरिकियों में रंग-वर्ण और आर्थिक आधार पर है. इसने अमेरिकियों के बीच एक घातक विभाजन पैदा कर दिया है. हालांकि इसकी पृष्ठभूमि काफी भयावह है. आइए जानतें है इस टकराव का ऐतिहासिक पहलू...

racism-in-usa-and-black-americans-civil-rights-movements
प्रतीकात्मक चित्र

By

Published : Jun 3, 2020, 5:14 PM IST

हैदराबाद : दासप्रथा का पहला मामला 1619 में वर्जीनिया के जेम्सटाउन के ब्रिटिश उपनिवेश काल में सामने आया. अमेरिका के संस्थापक राष्ट्रपतियों-जॉर्ज वाशिंगटन और थॉमस जेफरसन की मेजबानी करने वाला राज्य उत्तरी अमेरिका में पहला सफल ब्रिटिश उपनिवेश बन गया. इसे 1607 में जेम्सटाउन में स्थापित किया गया था.

आखिरकार दासप्रथा एक विवादास्पद मुद्दा बन गया. यह बौद्धिक आधार पर नहीं बल्कि श्वेत अमेरिकियों द्वारा आर्थिक आधार पर था. इसने उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच एक घातक विभाजन पैदा कर दिया.

अमेरिकियों के बीच अलगाव बढ़ता गया. ज्यादातर औद्योगिक क्षेत्र उत्तर अमेरिका में थे, जहां दासता के पीछे अर्थव्यवस्था का योगदान था और दूसरा दक्षिण स्थित ग्रामीण इलाका, जहां अश्वेत दासों द्वारा किया गया मुफ्त श्रम था. परिणामस्वरूप अमेरिका में 1861-65 के बीच हिंसा हुई.

अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1862 में अश्वेतों के लिए मुक्ति की घोषणा की और 1865 में दासता के कानून का अंत किया. उत्तर ने देश के सबसे घातक आंतरिक संघर्ष में दक्षिण पर जीत हासिल की.

कागज पर स्वतंत्र होने के बावजूद मूर्तरूप में स्वतंत्रता प्राप्त करने के मामले में अफ्रीकी-अमेरिकियों की स्थिति में बदलाव नहीं आया क्योंकि वे नागरिक जीवन के सभी पहलुओं में असमानता और अलगाव का अनुभव करते रहे.

लेकिन 20वीं शताब्दी में शिक्षित और दृढ़ अश्वेत नेताओं के उदय के साथ, चीजें बदलने लगीं.

1865 में संयुक्त राज्य अमेरिका स्वतंत्र हो गया. लेकिन अश्वेत अमेरिकी असमानता का दंश झेलते रहे.

अश्वेत कोड और जिम क्रो कानून दक्षिणी संयुक्त राज्य में नस्लीय अलगाव को लागू करने और अश्वेत मतदाताओं की शक्ति को कम करने के लिए पारित किए गए थे. जिम क्रो कानून दक्षिणी राज्यों में पारित किए गए थे. उन्होंने अश्वेत लोगों को समान अधिकारों से वंचित कर दिया था. अश्वेत लोग और गोरे लोगों को अलग कर दिया था. अश्वेत लोगों को स्कूलों और पार्कों जैसे 'केवल गोरों' की सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी. कू क्लक्स क्लान का गठन किया गया था. 1865 में गृहयुद्ध के बाद दक्षिण के पुनर्निर्माण के दौरान इसे लागू किया गया था. इसका उद्देश्य अश्वेत लोगों को डराना, हमला करना और लांछन लगाकर 'सफेद वर्चस्व' को बढ़ावा देना था.

अलगाव
अमेरिकी संविधान में चौदहवें संशोधन में अश्वेत दासों को गोरे लोगों के बराबर नागरिकता प्रदान की गई. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने प्लेसी बनाम फर्ग्यूसन (1896) में फैसला सुनाया कि अश्वेत और गोरे लोगों के लिए सुविधाएं 'अलग, लेकिन बराबर' होनी चाहिए. वास्तव में, अश्वेत लोगों की सुविधाएं श्वेत लोगों की तुलना में लगभग हमेशा खराब थी.

1909 में नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल (NAACP) को अदालतों में चुनौती देकर भेदभाव का विरोध करने के लिए स्थापित किया गया था.

1920 और 1930 के दशक में, हार्लेम पुनर्जागरण के कारण अश्वेत अमेरिकियों ने अपने इतिहास को देखा और अपने अफ्रीकी मूल से जुड़ने की शुरुआत की. लैंगस्टन ह्यूजेस और जोरा नेले हर्स्टन जैसे अश्वेत लेखकों ने किताबें और कविताएं लिखीं, जिन्होंने अश्वेत संस्कृति की खोज की और जश्न मनाया.

द्वितीय विश्व युद्ध में अश्वेत अमेरिकियों ने बहादुरी से संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी, जैसा कि सफेद अमेरिकियों ने किया था. हालांकि, कई अश्वेत सैनिकों को हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा, जब वे अमेरिका लौटे. अमेरिकी सेना ने अंततः 1948 में अश्वेत और श्वेत सैनिकों को एक दूसरे के साथ सेवा करने की अनुमति दी.

1942 में जेम्स फार्मर ने गैर-हिंसक प्रत्यक्ष कार्रवाई द्वारा अलगाव को चुनौती देने के लिए कांग्रेस की नस्लीय समानता (CORE) की स्थापना की. 1957 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने शांतिपूर्ण मार्च और प्रदर्शनों द्वारा नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने के लिए दक्षिणी ईसाई नेतृत्व सम्मेलन (SCLC) की स्थापना की. 1950 और 1960 के दशक में नागरिक अधिकार आंदोलन- मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में- श्वेत वर्चस्व को चुनौती दी गई.

नागरिक अधिकारों के लिए रास्ता
1954 में उच्चतम न्यायालय ने ब्राउन बनाम बोर्ड ऑफ एजुकेशन ऑफ टोपेका में शिक्षा में भेदभाव को असंवैधानिक घोषित किया. 1955 में रोजा पार्क्स ने मॉन्टगोमरी बस बॉयकाट को प्रेरित करते हुए, एक श्वेत व्यक्ति को अपनी बस की सीट देने से इनकार कर दिया. 1957 में नौ अश्वेत छात्र सैन्य सुरक्षा के साथ, लिटिल रॉक, अरकंसास के एक स्कूल में गए.

1963 में रेस्तरां सिट-इन के अभियानों के बाद, अंतरराज्यीय बसों पर स्वतंत्र सवारी और नागरिक अधिकारों के मार्च में एक लाख लोगों ने लिंकन मेमोरियल में 'मेरे पास एक सपना है' भाषण सुनने के लिए मार्च किया. नागरिक अधिकार आंदोलन के परिणाम 1964 में, मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अहिंसा का उपयोग और अश्वेत अमेरिकियों के लिए उनके सामाजिक न्याय के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीता.

नागरिक अधिकार अधिनियम (1964) ने स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और नौकरियों में अलगाव को समाप्त कर दिया. वोटिंग राइट्स एक्ट (1965) ने ऐसा कुछ भी करना गैरकानूनी बना दिया, जो वोट देने में सक्षम लोगों की संख्या को सीमित कर सकता है. कुछ राज्यों ने अश्वेत लोगों को वोट देने से रोकने के लिए साक्षरता परीक्षा का उपयोग किया था क्योंकि कई अश्वेत लोगों की शिक्षा तक सीमित पहुंच थी. फेयर हाउसिंग एक्ट (1968) ने आवास में भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया. वोटिंग राइट्स एक्ट (1965) ने सभी अश्वेत लोगों को वोट दिया. 2008 में अश्वेत अमेरिकी बराक ओबामा संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बने.

अश्वेत अमेरिकियों का भीषण नरसंहार
1921 का तुलसा जाति हत्याकांड : 1921 का टुल्सा जातीय दंगा या 1921 का टुल्सा जातीय हत्याकांड भी कहा जाता है. दंगा 31 मई, 1921 को टुल्सा, ओक्लाहोमा में शुरू हुआ. यह अमेरिकी इतिहास में नस्लीय हिंसा की सबसे गंभीर घटनाओं में एक थी. दो दिनों तक चलने वाले इस दंगे में 30 से 300 लोगों की मौत हो गई, जिसमें ज्यादातर अफ्रीकी-अमेरिकी थे और ग्रीनवुड के टुल्सा को नष्ट कर दिया, जिसे 'ब्लैक वॉल स्ट्रीट' कहा जाता है. 1,400 से अधिक घर और व्यवसाय जला दिए गए और लगभग 10,000 लोग बेघर हो गए.

कोलफैक्स, लुइसियाना, नरसंहार (1873) : गृहयुद्ध के सात साल बाद पुनर्निर्माण के दौरान अश्वेत पुरुषों और महिलाओं का नरसंहार किया गया. सबसे भयानक घटनाओं में एक लुइसियाना के कोलफैक्स में 1873 की अप्रैल में हुई थी. लगभग 150 अश्वेत पुरुषों की हत्या बंदूक और तोपों से की गई, जिन्हें इकट्ठा कर के तोपों से मार दिया गया था. आमतौर पर, मौतों की सही संख्या अज्ञात है क्योंकि कई अश्वेतों के शवों को वहां फेंक दिया गया, जिसे रेड रिवर कहा गया.

विलमिंगटन, उत्तरी कैरोलिना, नरसंहार (1898) :1898 तक उत्तरी कैरोलिना का विलमिंगटन एक बहुसंख्यक अश्वेत आबादी वाला एक संपन्न क्षेत्र था. 1898 के चुनाव तक अश्वेत लोगों को मतदान के लिए निर्वाचित अधिकारियों को बाहर करने से रोका गया. 1898 के चुनाव के अगले दिन, गोरों ने 'स्वतंत्रता की श्वेत घोषणा' की. उन्होंने विलमिंगटन सरकार को उखाड़ फेंका, प्रिंटिंग प्रेस को नष्ट कर दिया, महापौर को बाहर कर दिया, और गोरे लोगों की भीड़ ने अश्वेत निवासियों पर हमला किया. घरेलू आतंकवाद के इस कृत्य से कथित तौर पर 60 से 300 अश्वेत लोग मारे गए थे.

अटलांटा नरसंहार (1906) :22 सितंबर, 1906 को अटलांटा के अखबारों ने बताया कि चार श्वेत महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके साथ अश्वेत लोगों ने मारपीट की. एक ऐसा दावा, जो पूरी तरह से निराधार था. यौन हमले की इस संगीन रिपोर्ट के बाद 2,000 से अधिक गोरे लोग सड़कों पर उतर आए और अश्वेत लोगों को मारना शुरू कर दिया. इस घटना में अनौपचारिक मृत्यु का आंकड़ा 100 तक था.

एलेन, अर्कांसस नरसंहार (1919) : 1919 के सितंबर में अश्वेत श्रमिकों के बीच एक संघ की बैठक हुई और परिणामस्वरूप एक श्वेत व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस घटना में 200 से अधिक लोग मारे गए.

रोजवुड, फ्लोरिडा नरसंहार (1923) : एक अश्वेत समुदाय के आदमी को जला दिया गया था. ऐसी रिपोर्ट हैं कि रोजवुड, फ्लोरिडा में 150 से अधिक अश्वेत मारे गए थे. रोजवुड को तबाह कर दिया गया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details