दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

भारत में कोरोना : अभूतपूर्व परिस्थितियां बड़े पैमाने पर तैयारियों की मांग कर रही हैं

कभी भी किसी स्वास्थ्य आपदा ने राष्ट्र को पूरी तरह से रोका नहीं था. लेकिन आज पूरे भारत में लॉकडाउन जारी है. कई लोगों को शायद इस शब्द का मतलब 22 मार्च को तब पता चला जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस या कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए देश में एक दिन के लिए लॉकडाउन करने की घोषणा की ताकि देशवासी स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों द्वारा दी जाने वाली निस्वार्थ सेवा के प्रति अपना आदर दर्शा सकें. पढ़ें विशेष लेख...

corona virus havoc in india
कॉन्सेप्ट इमेज

By

Published : Mar 31, 2020, 6:12 PM IST

Updated : Mar 31, 2020, 10:57 PM IST

भारत एक अभूतपूर्व परिमाण के सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है. कभी भी एक स्वास्थ्य आपदा ने राष्ट्र को पूरी तरह से रोका नहीं था. ‘लॉकडाउन’ शब्द ज्यादातर भारतीयों के लिए एक अनजान शब्द है.

भारत ने जाना 'लॉकडाउन' का मतलब

कई लोगों को शायद इस शब्द का मतलब 22 मार्च को तब पता चला जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस या कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए देश में एक दिन के लिए लॉकडाउन करने की घोषणा की ताकि देशवासी स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों द्वारा दी जाने वाली निस्वार्थ सेवा के प्रति अपना आदर दर्शा सकें.

मार्च से संक्रमण के मामलों में आई बढ़ोतरी

जब देश कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए समय के विपरीत दौड़ रहा था, क्योंकि मार्च से संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, सरकार को एक और संकट का सामना करना पड़ा.

घाट का शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार

निगम बोध घाट के अधिकारियों ने लाशों की अंत्येष्टि के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश के आभाव के कारण एक 68 वर्षीय महिला के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था, जिनकी 13 मार्च को कोविड -19 के कारण मृत्यु हो गई थी.

मीडिया ने उठाया मामला

अंतत: उनका उनका अंतिम संस्कार आरएमएल अस्पताल, जहां उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, के डॉक्टरों द्वारा किए गये हस्तक्षेप के बाद इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में किया गया. परिवार के अंतहीन इंतजार के बाद ये मामला मीडिया द्वारा उठाया गया, जिसके कारणवश अधिकारियों पर हस्तक्षेप करने के लिए दबाव बनाया जा सका.

बिहार में कोविड-19 से व्यक्ति की मौत

यह अकेला मामला नहीं था. बिहार के एक गांव में, कोविड-19 से मरने वाले व्यक्ति के शव को अंतिम दर्शनों के लिए परिवार ने बहुत लंबे समय तक घर पर रखा, जहां काफी भीड़ होने के कारण पूरे गांव को संगरोधित या क्वारंटाइन किया गया.

परिवार के सदस्यों ने किया अंतिम संस्कार से इनकार

कोलकाता में, एक अन्य पीड़ित के परिवार के सदस्य शरीर लेने ही नहीं और श्मशान पर कार्यरत लोगों ने संक्रमण के डर से अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. 10 घंटे की देरी के बाद, आखिरकार विद्युत शवदाह गृह में शव का अंतिम संस्कार किया गया.

मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों के शवों को संभालने, ढोने और अंतिम\संस्कार के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. हालांकि, मृत शरीर प्रबंधन के प्रति सावधानी, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण उपाय, मृत के शरीर की देखभाल और पर्यावरण के कीटाणुशोधन के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे.

खुले में अंतिम संस्कार करना- चिंता का विषय

इसके बावजूद भारत में अधिकांश लाशों का अंतिम संस्कार खुले में किए जाने के कारण कुछ चिंताएं जताई गईं हैं. यद्यपि शहरों में विद्युत शवदाह की सुविधाएं मौजूद हैं, मगर जिलों और गांवों में श्मशान खुले में और नदियों के किनारे हैं, जो पर्यावरणीय प्रदूषण का खतरा पैदा कर सकते हैं, यदि लाशों की अंत्येष्टि परिभाषित तरीकों के अनुसार नहीं की जाती.

अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों को बरतनी चाहिए सावधानी

श्मशान/कब्रिस्तान के कर्मचारियों के संवेदीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए कि कोविड-19 संक्रमण वाली लाशें अतिरिक्त जोखिम को पैदा नहीं करती हैं, दिशानिर्देशों के अनुसार कर्मचारियों को हाथ की स्वच्छता, मास्क और दस्ताने के उपयोग की मानक सावधानियां रखनी चाहिए.

शव के चेहरे को देखने की अनुमति

मानक सावधानियों का उपयोग करते हुए कर्मचारियों द्वारा शरीर के थैले के छोर को खोलकर रिश्तेदारों को एक आखिरी बार शव के चेहरे को देखने की अनुमति दी जा सकती है, और धार्मिक अनुष्ठान, धार्मिक ग्रंथों का पाठ, पवित्र जल का छिड़काव जैसे किसी भी अन्य अंतिम संस्कार करने की भी अनुमति दी जा सकती है, जिनमें शरीर को छूने की आवश्यकता न हो, दिशा निर्देशों के अनुसार मृत शरीर के स्नान, चुंबन, और गले लगाने की अनुमति देने की कड़ाई से मनाई की गई है. अंतिम संस्कार/दफन करने वाले और परिवार के सदस्यों को दाह संस्कार/ दफन के बाद हाथ की सफाई करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें :निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए 1033 लोग, 24 कोरोना पॉजिटिव

अस्थियों से कोई जोखिम नहीं

दिशानिर्देशों के अनुसार, अस्थियों से कोई जोखिम नहीं है और अंतिम संस्कार करने के लिए एकत्र की जा सकती हैं. हालांकि, दिशानिर्देशों ने अनुसार, श्मशान/कब्रिस्तान में भीड़ लगाना सामाजिक दूरी बनाए की कोशिश को बाधित कर सकता है, जिससे यह संभव है कि करीबी परिवार के संपर्क में आने से संक्रमण फैले या वायरस को नया ठिकाना मिल जाए.

कोविड-19 बूंदों के माध्यम से फैलता है

हालांकि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दावा किया है कि कोविड-19 बूंदों के माध्यम से फैलता है इसलिए दस्ताने और मास्क सहित मानक सावधानियों का पालन करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं या परिवार के सदस्यों के लिए, जो रोगी के शरीर से को छूते हैं, खतरा नहीं होता हैं.

महामारी की जानकारी विज्ञान के ज्ञान पर आधारित

यह मानते हुए कि दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एक नई बीमारी होने के नाते कोविड-19 द्वारा संक्रमित संदिग्ध या पुष्ट व्यक्ति के शव का निपटान कैसे करना है. इस पर अभी पूरी जानकारी नहीं है, सरकार ने कहा कि यह बीमारी के बारे में वर्तमान जानकारी महामारी विज्ञान के ज्ञान पर आधारित है.

प्लास्टिक बॉडी बैग में रखें शव

शव को रिसाव रहित प्लास्टिक बॉडी बैग में रखें. बॉडी बैग के बाहरी हिस्से पर एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा सकता है. बॉडी बैग को परिवार के सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराई गई मोर्चरी शीट या चादर से लपेटा जा सकता है.

सख्ती से हो दिशानिर्देशों का पालन

दिशानिर्देश एक स्वागत योग्य और समयबद्ध कदम हैं. हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन दिशानिर्देशों का पालन कथनी और करनी में पूर्णतः किए जाए. वाहनों के परिवहन और स्वच्छता के लिए सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए और एक महत्वपूर्ण बात ये है कि, कर्मचारियों को संवेदनशील और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.

जनता को सूचित और शिक्षित करने की जरूरत

इन तरीकों के बारे में जनता को विभिन्न स्तरों पर सूचित करना और शिक्षित करना प्रशासन के लिए भी अनिवार्य है. इसे बड़े स्तर पर मीडिया के संवेदीकरण अभियान का हिस्सा होना चाहिए, जो सरकार द्वारा हाथ धोने, सैनिटाइज़र के उपयोग और घर के अंदर रहने के लिए पहले से चलाया जा रहा है.

भारत का महामारी पर सराहनीय रूप से काबू

भारत ने अब तक इस प्रकोप और मौतों पर सराहनीय रूप से काबू किया हुआ है. अंतिम संस्कार तब तक मुद्दा नहीं है, जब तक मृत्यु दर कम बनी रहे, लेकिन ऐसी अभूतपूर्व और अप्रत्याशित स्थितियों में, कुछ भी कम आंका नहीं जा सकता है.

आने वाले हालातों के लिए भारत रहे तैयार

भारत को इन हालात के लिए भी तैयार रहना चाहिए और इस घटक को कोविड-19 के खिलाफ अपने अभियान में शामिल करना चाहिए. तैयार रहना, गफलत में पकड़े जाने से बेहतर है, और भारत ने अब तक यह साबित कर दिया है कि ये कर दिखाने की उसमें क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति है.

(लेखक- वरिष्ठ पत्रकार आरती धर)

Last Updated : Mar 31, 2020, 10:57 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details