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निर्भया को न्याय : फांसी के फंदे बक्से में बंद, जल्लाद ने जेल अधीक्षक को सौंपी चाबी

निर्भया के मुजरिमों को लटकाए जाने का वक्त ज्यों-ज्यों घटता जा रहा है, त्यों-त्यों तिहाड़ जेल प्रशासन अपनी तैयारियों को मुकाम की ओर बढ़ाता जा रहा है. पवन जल्लाद ने तिहाड़ जेल अधिकारियों की मौजूदगी में गुरुवार को आखिरी 'डमी-ट्रायल' को अंजाम दिया. उसके बाद उसने शाम करीब छह बजे एक चाबी तिहाड़ जेल नंबर-3 के अधीक्षक के हवाले की. पढे़ं खबर विस्तार से....

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फांसी के फंदे बक्से में बंद

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Published : Mar 19, 2020, 10:18 PM IST

नई दिल्ली : तमाम कानूनी दांव-पेच के बाद आखिरकार तय हो गया कि निर्भया के हत्यारे शुक्रवार (20 मार्च 2020) को ही तड़के करीब साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाए जाएंगे. ज्यों-ज्यों मुजरिमों को लटकाए जाने का वक्त घटता जा रहा है, त्यों-त्यों तिहाड़ जेल प्रशासन अपनी तैयारियों को मुकाम की ओर बढ़ाता जा रहा है.

पवन जल्लाद ने तिहाड़ जेल अधिकारियों की मौजूदगी में गुरुवार की दोपहर को आखिरी 'डमी-ट्रायल' को अंजाम दिया. उसके बाद शाम करीब छह बजे एक चाबी तिहाड़ जेल नंबर-3 के अधीक्षक के हवाले की. जल्लाद से चाबी लेते वक्त अधीक्षक के साथ जेल नंबर तीन में जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट भी मौजूद थे.

चाबी सौंपने के बाद पवन जल्लाद दोनों अफसरों को फांसीघर के पास मौजूद एक कोठरी में ले गया. वहां जाकर दोनों अधिकारियों से पवन जल्लाद ने लोहे का एक बक्सा खोलने को कहा. बक्सा खोलने पर दोनों अधिकारियों को उसके अंदर चार मुंह बंद कपड़े के थैले रखे मिले. इन थैलों के मुंह जब खोले गए, तो उनके अंदर फांसी पर टांगने के लिए तैयार किए गए चार अलग-अलगे रस्से (फंदे) रखे मिले.

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फंदों की जांच जेल के दोनों अधिकारियों से कराने के बाद पवन जल्लाद ने दुबारा पहले की ही तरह चारों थैलों को बंद करा दिया. इसके बाद एक सादे कागज पर जेल अफसरों से मिली पर्ची अपनी जेब में रख ली.

तिहाड़ जेल सूत्रों ने बताया कि जेल अफसरों द्वारा पवन जल्लाद को सौंपी गई पर्ची में बक्से में बंद फांसी के रस्सों की जांच और बक्से की चाबी प्राप्त कर लेने की बात दर्ज थी.

सूत्रों के मुताबिक, अब जेलर के पास मौजूद चाबी से ही शुक्रवार तड़के जेल नंबर तीन के फांसीघर में रखे गए इसी बक्से को खोला जाएगा. बक्सा जेल के अन्य तमाम अफसरों की मौजूदगी में जेल अधीक्षक और उपाधीक्षक (सुपरिंटेंडेंट और डिप्टी सुपरिंटेंडेंट) से ही खुलवाया जाएगा, ताकि अंतिम समय पर फांसी के फंदों को लेकर कहीं किसी शक की गुंजाइश बाकी न रहे.

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