नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीओके को भारतीय हिस्सा बताते हुए एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पीओके एक दिन भारत का भौगोलिक हिस्सा होगा. जयशंकर ने कहा कि जबतक पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देना नहीं रोकेगा तबतक उससे बातचीत नहीं होगी.
जयशंकर ने कहा कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है और अपने आंतरिक मामलों में भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.जम्मू-कश्मीर से आर्टीकल 370 हटाने को आतंरिक मुद्दा बताते हुए जयशंकर ने कहा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि एक दिन उसपर हमारा अधिकार होगा.
इस बयान को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत के फैसले की पृष्ठभूमि में जारी चर्चा के मद्देनजर अहम माना जा रहा है.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने अपने मंत्रालय के कामकाज के 100 दिनों की उपलब्धियां भी गिनाई.
जयशंकर ने कहा कि भारत ‘पड़ोस प्रथम’की नीति को आगे बढ़ा रहा है लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की ‘अलग तरह की चुनौती’ है और यह तब तक चुनौती रहेगी जब तक वह सामान्य व्यवहार नहीं करता और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता
उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह हमारा आंतरिक मुद्दा है. ’उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति को समझता है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि मुद्दा सीमा पार आतंकवाद का है और किसी तरह की बातचीत के लिये वार्ता की मेज पर पहला विषय आतंकवाद का होगा.
उन्होंने कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे. उन्होंने जोर दिया कि आंतरिक मामलों पर भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी.
कुछ देशों एवं मानवाधिकार संगठनों की ओर से कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग समझते हैं कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का भारत का कारण क्या था.
पढ़ें:विदेश मंत्री एस जयशंकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवार बांध देखने पहुंचे
उन्होंने कहा, ‘यह अस्थायी प्रावधान था जिसका घटनाक्रमों के विश्लेषण में उपयोग नहीं होता है. यह प्रावधान वास्तव में निष्क्रिय हो गया है. इसका इस्तेमाल कुछ लोग अपने फायदे के लिये कर रहे थे. ’उन्होंने कहा कि इससे विकास बाधित हो रहा था और अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा था. अलगाववाद का इस्तेमाल पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद के लिये कर रहा था.
इमरान खान के भारत से बातचीत करने का कोई मतलब नहीं होने की टिप्पणी के बारे में एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह आतंकवाद पर केवल बात करता है, करता कुछ नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘वास्तविक समस्या आतंकवाद को खत्म करने की है जो उसने :पाक: सृजित किया है. मुझे कोई एक ऐसा देश बतायें जिसका पड़ोसी देश उसके खिलाफ खुले तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता हो और उसके बाद वह उसके साथ बातचीत करता हो.