पलामू/पालघर :झारखंड के पलामू जिले के रहने वाले नौसेना अधिकारी सूरज कुमार को चेन्नई से अगवा कर पालघर में जिंदा जला दिया गया. वह शुक्रवार को जख्मी हालत में मिले थे. बाद में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था. परिवार वाले इसे बड़ी साजिश मान रहे हैं. पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं.
मामले में पालघर पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि उसने दोस्तों से काफी कर्ज ले रखा था. शेयर बाजार में भी पैसा लगा रखा था. 15 जनवरी को सूरज की शादी पक्की हुई थी उस समय उनके बैंक खाते में लगभग 9 लाख थे, लेकिन अब खाता शून्य है. पूरे मामले की जांच के लिए 10 टीमों का गठन किया गया है. लगभग 100 पुलिस अधिकारी और कर्मी विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे हैं.
30 जनवरी को गए थे सूरज
नेवी जवान सूरज कुमार दुबे पलामू के के रहने वाले थे. अगस्त 2012 में उनका नेवी में चयन हुआ था. वह 30 जनवरी को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए पलामू से निकले थे, उन्हें कोयंबटूर जाना था लेकिन चेन्नई से ही वे लापता हो गए थे. शुक्रवार की रात सूरज महाराष्ट्र के पालघर में 90 प्रतिशत जले हुए पाए गए थे.
परिजन कर रहे फिरौती की बात से इनकार
सूरज कुमार दुबे के भाई नीरज कुमार दुबे ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें फोन कर बताया था कि फिरौती के लिए अपहरण किया गया था, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है. परिवार के किसी भी सदस्य के पास फिरौती के लिए कोई कॉल नहीं आया है. घटना के पीछे बड़ी साजिश है. नीरज दुबे ने बताया कि पालघर के एसपी ने उन्हें बताया कि तीन लोगों ने अपहरण किया था. जिसमें से एक नाम इरफान है. उन्होंने बताया कि मामले में सीबीआई जांच हो तभी असली बात सामने आएगी और इंसाफ मिलेगा.
पढ़ें- झारखंड के रहने वाले नौसेना अधिकारी को पालघर में जिंदा जलाया
परिजनों के लागातार संपर्क में था
नीरज ने बताया कि सूरज का साथी जवान धर्मेंद्र उसके लगातार संपर्क में था. 22 जनवरी से धर्मेंद्र, सूरज का लोकेशन ले रहा था. 30 जनवरी को 13 बार एसएमएस से धर्मेंद्र और सूरज के बीच बातचीत हुई थी. उन्होंने बताया कि शुरुआत के दो दिनों तक यूनिट का कमांडेंट का व्यवहार परिजनों के प्रति सहानुभूति पूर्वक था लेकिन जैसे धर्मेंद्र का जिक्र आया कमांडेंट का व्यवहार बदल गया.