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मिशन बंगाल : 'फार्मूला 23' से 200 सीटें जीतने का बीजेपी ने रखा लक्ष्य

भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार का रण जीतने के बाद अब बारी पश्चिम बंगाल की है. दारोमदार गृहमंत्री अमित शाह पर है. शाह ने 2021 के रण को जीतने के लिए गेम प्लान भी तैयार कर लिया है कि किस तरह सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और उसकी नेत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी बंगाल के मिशन 200 के लक्ष्य को लेकर चुनावी रण में उतरेगी.

modi shah
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Published : Nov 18, 2020, 11:06 PM IST

नई दिल्ली :गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल के लिए मिशन 200 का लक्ष्य प्रदेश इकाई के सामने रखा है. 294 सीटों वाली विधानसभा में से 200 सीटें जीतने का लक्ष्य कहीं न कहीं काफी बड़ा है, लेकिन इसके लिए शाह ने 'फार्मूला 23' इजाद किया है. 2014 में जिस तरह लोक सभा चुनाव जीतने का गेम प्लान शाह ने तैयार किया था कुछ इसी तरह बंगाल का रण जीतने के लिए मिशन 200 के लिए फार्मूला 23 तैयार किया है. आइए जानते हैं आखिर यह फार्मूला 23 है क्या-

कार्यकर्ता बढ़ाने पर फोकस

पार्टी का फोकस ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाना होगा. कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से नमो एप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. एप के सहारे मोदी सरकार की उपलब्धियों को और वास्तविक रूप में केंद्र सरकार राज्यों के लिए क्या कार्य कर रही है उन चीजों से लोगों को समय-समय पर अवगत कराया जाता रहेगा. मंडल स्तर पर बूथों को चार कैटेगरी में इसके तहत बांटा जाता है.

ए, बी और सी, डी कैटेगरी जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत करने की जरूरत डी कैटेगरी पर होती है. उसमें कार्यकर्ताओं को लक्ष्य देकर कार्य करने में लगाया जाता है. सी कैटेगरी के बूथों पर पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती है और उन्हें लक्ष्य दिया जाता है कि सी कैटेगरी के बूथ को वह ए कैटेगरी में तब्दील करें.

बूथ पदाधिकारियों का नंबर मुख्यालय में होगा
सभी बूथ पदाधिकारियों का नंबर भाजपा मुख्यालय में अपडेट किया जाता है और समय-समय पर हेड क्वार्टर उनसे रिपोर्ट लेता रहता है. हर बूथ पर एक या दो सदस्यों को पूरी तरह से डेडीकेट किया जाता है.

यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह कम से कम 6 कार्यक्रम अपने बूथ पर आयोजित करें, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को भी लोगों के साथ सुनने संबंधित प्रोग्राम आयोजित करना होता है. साथ ही भारतीय जनता पार्टी के हर बूथ पर कितने मतदाता स्मार्टफोन वाले हैं, कितने मतदाताओं में से भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता ग्रहण करने वाले मतदाता हैं, इन तमाम बातों की जानकारी होती है.

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स्वयंसेवकों की मदद ली जाएगी
इस पूरे कार्यक्रम के दौरान बूथों को मजबूत करने के लिए आरएसएस के स्वयंसेवकों की भी मदद ली जाएगी. भाजपा कार्यकर्ताओं को यह निर्देश देगी कि वह संघ के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अपने बूथ को मजबूत करें. घर-घर जाकर केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी दें. सामाजिक समीकरण क्या है, जातिगत व्यवस्था क्या है, इस बात का प्रतिनिधित्व सही रूप से हो पाए इस बात की भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. सभी नेताओं को ट्विटर वार चलाने के भी निर्देश दिए गए हैं.

नड्डा और शाह हर महीने 8 दिन बंगाल में बिताएंगे

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बंगाल के लिए कई कार्यक्रम तैयार किए हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो बंगाल के लिए पार्टी के रणनीतिकार अमित शाह जनवरी 2021 से हर महीने कम से कम 8 दिन बंगाल में बिताएंगे जब तक कि वहां चुनाव नहीं हो जाता, क्योंकि बंगाल की लड़ाई शाह के लिए नाक की लड़ाई बन चुकी है.
इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेते हुए बताया कि बिहार के नतीजों से लगता है कि ममता बनर्जी और बौखला गई हैं और बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अब वह प्रदेश अध्यक्षों पर भी हमला करवा रही हैं, लेकिन हम डरेंगे नहीं और ना ही हम झुकेंगे और इस बार 2021 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार वहां पर बना कर रहेगी.

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2014 में 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' से मिली थी सफलता

भाजपा जब 2014 के लोक सभा चुनाव की तैयारी कर रही थी और नरेंद्र मोदी को कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाने के बाद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया गया था, तब से ही भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ लेवल पर पूरे देश में पार्टी को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी थी. नाम रखा गया था 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' और इसी नारे को लेकर पूरे देश में पार्टी के नेताओं को और कार्यकर्ताओं को जमीनी हकीकत और वास्तविक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे.

इसके बाद कई राज्यों के चुनाव में भी अमित शाह ने इसी फार्मूला को अपनाया, क्योंकि कहीं ना कहीं यह भाजपा का टेस्टेड फार्मूला बन गया था. यही नहीं 2014 के चुनाव जीतने के बाद भी शाह जब तक अध्यक्ष रहे तब तक अनेक राज्यों में बूथ लेवल पर इस कार्यक्रम को चलाया जाता रहा. अंदर ही अंदर तैयारी काफी पहले से 2019 की भी शुरू कर दी गई थी, जिसका परिणाम 2014 से भी ज्यादा 2019 में भाजपा को सीटें मिलीं.

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