नई दिल्ली :कोविड-19 महामारी से शहरी भारत में पहले से मौजूद विषमता और बढ़ी है. लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (एलएसई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान सार्वजनिक पाबंदियो से रोजगार कम हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले श्रमिकों की आय महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान ऊंची आय वर्ग के श्रमिकों की तुलना में अधिक घटी है. यानी कोविड-19 से पहले कम कमाई वालों की कमाई लॉकडाउन के दौरान अधिक घटी है.
'अब नहीं रहा सपनों का शहर भारत के शहरी श्रमिकों पर कोविड-19 का प्रभाव' शीर्ष की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी से शहरी भारत की आजीविका पर असर पड़ा है और एक श्रमिकों का एक नया निम्न वर्ग तैयार हुआ है, जो गरीबी में चले गए हैं.
रिपोर्ट कहती है कि निम्न सामाजिक आर्थिक समूहों के असंगठित क्षेत्र के कामगार, विशेष रूप से असंगठति क्षेत्र के युवा श्रमिकों को सबसे अधिक रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. इसमें कहा गया है कि युवा यानी 18 से 25 साल के शहरी श्रमिकों के रोजगार में होने की संभावना कम हुई. इस बात की संभावना अधिक है कि ये असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्हें कम मजदूरी दी जा रही है.