दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कोविड-19 की वजह से शहरी भारत में विषमता और बढ़ी : रिपोर्ट - lse report on inequality in india

एलएसई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले श्रमिकों की आय महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान ऊंची आय वर्ग के श्रमिकों की तुलना में अधिक घटी है. यानी कोविड-19 से पहले कम कमाई वालों की कमाई लॉकडाउन के दौरान अधिक घटी है.

report-on-inequality
कोविड-19 की वजह से शहरी भारत में विषमता और बढ़ी

By

Published : Sep 2, 2020, 11:04 AM IST

Updated : Sep 2, 2020, 11:43 AM IST

नई दिल्ली :कोविड-19 महामारी से शहरी भारत में पहले से मौजूद विषमता और बढ़ी है. लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (एलएसई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान सार्वजनिक पाबंदियो से रोजगार कम हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले श्रमिकों की आय महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान ऊंची आय वर्ग के श्रमिकों की तुलना में अधिक घटी है. यानी कोविड-19 से पहले कम कमाई वालों की कमाई लॉकडाउन के दौरान अधिक घटी है.

'अब नहीं रहा सपनों का शहर भारत के शहरी श्रमिकों पर कोविड-19 का प्रभाव' शीर्ष की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी से शहरी भारत की आजीविका पर असर पड़ा है और एक श्रमिकों का एक नया निम्न वर्ग तैयार हुआ है, जो गरीबी में चले गए हैं.

रिपोर्ट कहती है कि निम्न सामाजिक आर्थिक समूहों के असंगठित क्षेत्र के कामगार, विशेष रूप से असंगठति क्षेत्र के युवा श्रमिकों को सबसे अधिक रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. इसमें कहा गया है कि युवा यानी 18 से 25 साल के शहरी श्रमिकों के रोजगार में होने की संभावना कम हुई. इस बात की संभावना अधिक है कि ये असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्हें कम मजदूरी दी जा रही है.

पढ़ें :जीडीपी डेटा: कृषि में राहत; निर्माण, व्यापार, यात्रा और होटल बुरी तरह प्रभावित

यह रिपोर्ट शानिया भालोतिया, स्वाति ढींगरा और फजोला कोंडिरोली ने लिखी है. उन्होंने लिखा है कि कोविड-19 ने भारत के शहरी क्षेत्रों को महामारी से सबसे अधिक जूझना पड़ा. इस वजह से उनके समक्ष आजीविका का संकट पैदा हुआ.

रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 ने शहरी भारत में मौजूदा विषमता को और बढ़ाया है. इस महामारी से कम कमाई वाले श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. महामारी ने 'लॉकडाउन की पीढ़ी' की आजीविका को घटा दिया और उनके बीच असमानता बढ़ी है.

रिपोर्ट में शहरी भारत के 18 से 40 साल के 8,500 श्रमिकों को शामिल किया गया है. इस सर्वे में कोविड-19 के दौरान उनके अनुभवों को समझने का प्रयास किया गया है. यह सर्वे मई से जुलाई, 2020 के दौरान किया गया.

Last Updated : Sep 2, 2020, 11:43 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details