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पुरी : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए मंदिर प्रंबधन ने सीएम को लिखा पत्र

कोरोना महामारी के चलते इस साल ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रोक लगा दी. इस पर मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पटनायक को पत्र लिखा. उन्होंने कोर्ट के आदेश में आंशिक संशोधन के लिए उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को तुरंत संपर्क करने का निवेदन किया है, ताकि पुरी रथ यात्रा को अनुमति मिल सके. पढे़ं खबर विस्तार से...

Jagannatha Temple committee requests odisha cm over ratha yatra in puri
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक

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Published : Jun 21, 2020, 7:34 AM IST

पुरी (ओडिशा) : जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिब्यसिंह देब ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में 18 जून के आदेश में आंशिक संशोधन के लिए उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को तुरंत संपर्क करने का निवेदन किया है, ताकि पुरी रथ यात्रा को अनुमति मिल सके.

कोरोना महामारी के चलते इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रोक लगा दी. आपको बता दें कि यह रथ यात्रा 23 जून को होनी थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.

हालांकि, आदेश को वापस लेने के लिए याचिका भी दायर की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से 18 जून के अपने आदेश को वापस लेने और संशोधित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह लाखों भक्तों की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है.

पढे़ं :इस साल पुरी में रथ यात्रा पर रोक लगाने का आदेश वापस लेने के लिए न्यायालय में याचिका

आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अगर हम इस साल रथ यात्रा आयोजित होने देते तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.

यह रथ यात्रा महोत्सव 10 से 12 दिन चलता है, जो 23 जून को शुरू होने वाला था और रथ यात्रा की वापसी 'बहुदा जात्रा' की तारीख एक जुलाई निर्धारित है.

इस महोत्सव के लिए भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए लकड़ी के तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं और पुरी में नौ दिनों के दौरान श्रद्धालु इसे दो बार तीन किलोमीटर से ज्यादा दूर तक खींचते हैं.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'रथ यात्रा के लिए इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के एकत्र होने से उत्पन्न खतरे को देखते हुए हम सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों के मद्देनजर प्रतिवादियों को इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन करने से रोकना उचित है.'

पीठ ने कहा के संविधान का अनुच्छेद 25 (1) लोक व्यवस्था और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए सभी को अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है.

पढे़ं :सुप्रीम कोर्ट ने पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाई

शीर्ष अदालत ने ओडिशा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया. याचिका में 10 से 12 दिन चलने वाली रथ यात्रा को इस साल रद करने या फिर इसे स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. इस आयोजन में दुनिया भर के लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं.

इसके अलावा, भारतीय विकास परिषद नाम के संगठन के सुरेन्द्र पाणिग्रही ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के नौ जून के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर कर रखी है. इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि वह कोविड-19 के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए रथ यात्रा महोत्सव आयोजित करने के बारे में निर्णय लें.

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