नई दिल्ली : कम से कम समय में कई हजार लोगों का पता लगाने की अभूतपूर्व कवायद में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) पूरी तरह सफल रहे. मैक ने पिछले महीने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में इकट्ठा हुए और बाद में देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचे कोरोना वायरस के संदिग्ध वाहकों की पहचान कर भारत को बड़े संकट से बचाया है.
यहां तक कि आईबी ने उन लोगों पर भी नजर रखी, जो जमात का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उस समय के दौरान मरकज के पास थे. यानी जब यह घातक वायरस आसपास के इलाके में फैल रहा था, उस समय वह इस इलाके में थे.
आईबी के शीर्ष सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इन सभी लोगों की पहचान करने के लिए निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित कई मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का एक बड़ा डेटा निकाला गया, ताकि तबलीगी जमात मरकज के आसपास के क्षेत्र में उस दौरान हुए 'मानव यातायात' की सही पहचान हो सके, जहां विभिन्न तारीखों में लगभग 7000 जमाती इस धार्मिक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे. इस पूरी कवायद की खास बात यह रही कि इसमें बहुत तेजी से निर्णय लिए गए और किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहने दी गई.
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मार्च के दूसरे सप्ताह में हमें निजामुद्दीन से शुरू होकर हैदराबाद पहुंचने वाली ट्रेन को लेकर एक शुरुआती खबर मिली. स्थानीय प्रशासन को पता चला कि इन ट्रेनों में सफर कर रहे ज्यादातर यात्री जमाती हैं और उनमें से कई कोरोना पॉजिटिव हैं. तब विजयवाड़ा के इंटेलिजेंस ब्यूरो के आईजी ने ऊपर तक ये डरावनी जानकारियां पहुंचाईं.'
20 मार्च तक मरकज से लौटकर आए 10 इंडोनेशियाई जामातियों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया था. इस बीच गृह मंत्रालय (एमएचए), दिल्ली पुलिस और दक्षिण पूर्व दिल्ली में संबंधित सिविक अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया था. वहीं ग्राउंड जीरो पर अधिकारियों ने पाया कि 23 मार्च तक 1500 जामातियों ने मरकज छोड़ दिया, लेकिन उनमें से 1,000 लोग इस घनी आबादी वाले निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में रुके हुए थे. तब आधिकारिक रजिस्टरों के माध्यम से, आईबी ने भारत के दक्षिणी राज्यों से तबलिगी जमात में आए लगभग 4,000 सदस्यों के मोबाइल नंबरों और पतों का पता लगाया जो 13 मार्च से मरकज की बैठक में शामिल हुए थे.
तब देश के अन्य हिस्सों में वायरस के प्रसार की संभावना को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी और संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने एमएचए को सुझाव दिया कि वह मार्च के दूसरे और तीसरे सप्ताह में इस भीड़ वाले निजामुद्दीन क्षेत्र में आने वाले सभी लोगों की पहचान करें और उनका कोरोना परीक्षण करें.