नई दिल्ली : अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि क्षय रोग (टीबी) से बचाव के लिए भारत में जन्म के तुरंत बाद लाखों बच्चों को दिया जाने वाला बीसीजी का टीका कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में परिवर्तनकारी साबित हो सकता है.
न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनवाईआईटी) का एक अध्ययन अभी प्रकाशित होने वाला है जिसमें इटली और अमेरिका का उदाहरण देते हुए राष्ट्रीय नीतियों के तहत कई देशों में लगाए जाने वाले बीसीजी के टीके और कोविड-19 के प्रभाव का आपस में संबंध बतााया गया है.
एनवाईआईटी में जैव चिकित्सा विज्ञान के सहायक प्रोफेसर गोंजालू ओेटाजू के नेतृत्व में जाने-माने अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, 'हमने पाया कि जिन देशों में बीसीजी टीकाकरण की नीतियां नहीं हैं, वहां कोरोना वायरस से लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जैसे कि इटली, नीदरलैंड और अमेरिका. वहीं, उन देशों में लोगों पर कोरोना वायरस का ज्यादा असर नहीं पड़ा है जहां लंबे समय से बीसीजी टीकाकरण की नीतियां चली आ रही हैं.'
अमेरिका में कोरोना वायरस के लगभग 1,90,000 मामले सामने आए हैं और वहां चार हजार से अधिक लोगों की जान गई है. इटली में 1,05,000 मामले सामने आए हैं और 12 हजार से अधिक लोगों की जान गई है. वहीं, नीदरलैंड में 12 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं और एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है.
अध्ययन के अनुसार संक्रमण और मौतों की कम संख्या बीसीजी टीकाकरण को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक 'गेम-चेंजर' बना सकती है.
बीसीजी टीका भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है और यह लाखों बच्चों को उनके जन्म के समय या इसके तुरंत बाद लगाया जाता है.