हैदराबाद : भारतीय सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में एक है. भारतीय सेना अत्याधुनिक हथियारों से पूरी तरह से लैस है और इसमें ज्यादातर हथियार आयात किए गए हैं. हालांकि अब स्थिति बदल रही है. भारत विगत कई वर्षों से देश में ही हथियार बनाने के प्रयास में लगा है. इस मामले सफलता भी मिल रही है. हाल ही में देश ने तेजस लड़ाकू विमान व ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया है.
हालांकि कई ऐसे छोटे देश हैं, जो दुनियाभर में युद्ध सामग्री का निर्यात करते हैं. इन देशों में स्पेन, इजराइल, इटली, नीदरलैंड आदि प्रमुख हैं. बता दें कि चीन एक समय दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाला देश था, लेकिन अब वह हथियार निर्यात करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है.
रक्षा निर्यात में बढ़ते भारत के कदम
भारत की मंशा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की रिपोर्ट से जाहिर हो जाती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2014 तक दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदता था, लेकिन 2014 के बाद से कई हथियारों का निर्माण स्वयं करने लगा है. यही कारण है कि अब देश दुनिया में हथियार आयात करने वाले देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर आ गया है.
रक्षा उत्पाद से जुड़े कुछ तथ्य-
- 1991 में भारतीय रक्षा निर्यात लगभग न के बराबर था. अपने द्वारा बनाए गए हथियार व्यापार के आंकड़ों के अनुसार भारत 40वें स्थान पर था.
- रूमेनिया, चिली, सिंगापुर, केन्या, बेल्जियम, ईरान और लेबनान जैसे छोटे-छोटे देश भी रक्षा उपकरण निर्यात के मामले में भारत से अव्वल थे. यहां तक कि पाकिस्तान भी भारत से ज्यादा हाथियारों का निर्यात करता था.
- वर्ष 2000 में भारत के रक्षा निर्यात में मामूली वृद्धि हुई. हालांकि समग्र प्रदर्शन निराशाजनक रहा. 2001 में भारत ने दुनिया में 86 हथियार निर्यातक देशों में अपना 40वां स्थान बरकरार रखा.
- अगले दशक 2001 से 2010 के बीच भारत रक्षा निर्यात में कुछ खास नहीं कर पाया.
- 2011 में रक्षा निर्यात रैंक में कुछ सुधार हुआ. इस वर्ष भारत 76 निर्यातक देशों की सूची में 37वें स्थान पर पहुंच गया और भारत ने दुनियाभर में निर्यात हुई रक्षा सामग्री का 0.1 फीसदी व्यापार किया.
- रक्षा निर्यात के लिए रणनीति की घोषणा और निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के अनुदान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को सुव्यवस्थित करने के साथ, रक्षा निर्यात के संबंध में भारत की वैश्विक रैंकिंग में धीमा, किंतु लगातार सुधार हुआ है.
- 2014 से 2018 की अवधि में भारतीय रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई.
- 2017 में रक्षा उत्पादनों के निर्यात में भारत 25वें स्थान पर था. इस वर्ष भारत ने दुनिया के कुल रक्षा व्यापार का 0.18 फीसद निर्यात किया.
- 2018 में भारत ने 54 रक्षा उत्पादों का दुनियाभर में निर्यात किया. इस वर्ष भारत की रैंकिंग 24वीं रही. इस वर्ष भारत ने वैश्विक स्तर किए गए व्यापार का 0.17 फीसदी का निर्यात किया.
- 2009 से 2018 तक का निर्यात देखें तो पहले पांच वर्ष की तुलना में भारत ने 2013 से 2018 के बीच ज्यादा निर्यात किया है. 2009-2013 के दौरान भारत ने 0.04 फीसद निर्यात किया था, वहीं 2013 से 2018 के बीच भारत ने 0.15 फीसद का कारोबार किया.
मेक इन इंडिया पर जोर
रक्षा क्षेत्र में छह वर्ष पूर्व शुरू की गई मेक इन इंडिया की कोई भी प्रमुख परियोजना नहीं है, जिसमें नई पीढ़ी की पनडुब्बी, माइंसवेपर और हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर से लकेर, थल सेना के वाहनों और लड़ाकू जेट विमान जिनका निर्माण इस योजना के तहत हुआ हो. बिना अनुबंध के शुरू किए गए लंबे समय से लंबित यह प्रोजेक्ट्स, जिनकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, या तो अटके हैं या फिर भी विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं.