नई दिल्ली : भारत और क्रोएशिया ने कोविड-19 महामारी के परिदृश्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग एवं आने वाले वर्षों में दुनिया के समक्ष उत्पन्न होने वाली ऐसी ही संभावित चुनौतियों के बारे में चर्चा की. दोनों देशों ने कारपोरेट गठबंधन, स्टार्टअप सहयोग, साइबर अनुसंधान एवं विकास तथा कुशल मानव संसाधन सहयोग पर आधारित बहुस्तरीय डिजिटल गठबंधन की जरूरत पर भी बल दिया.
विदेश मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के अनुसार, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने क्रोएशिया के विदेश, राजनीतिक एवं यूरोपीय मामलों के राज्य मंत्री फ्रानो मातुसिक के साथ डिजिटल माध्यम से मंगलवार 22 दिसंबर को बैठक की.
बैठक में वर्ष 2021 के लिए आपसी सहयोग का व्यापक एजेंडा तय किया गया और वर्ष 2022 में दोनों देशों के राजनयिक संबंधों के तीन दशक पूरा होने के अवसर को मनाने के बारे में भी चर्चा हुई. विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रम के बारे में विचारों का आदान प्रदान किया और मुक्त, खुले और स्थिर हिन्द प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी.
बयान में कहा गया है कि भारत का जनवरी 2021 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता का दो वर्ष कार्यकाल शुरू होने जा रहा है और क्रोएशिया यूरोपीय संघ का महत्वपूर्ण सदस्य है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद से मुकाबला, वैश्विक स्वास्थ्य सेवाएं, साइबर स्पेस, नौवहन क्षेत्र जैसे आपसी सहयोग के साझे मुद्दों एवं वैश्विक महत्व के विषयों पर इन मंचों के महत्व को भी स्वीकार किया गया.
इसमें कहा गया है कि क्रोएशिया और भारत के मंत्रियों ने कोरोना महामारी के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र और आने वाले वर्षों में दुनिया के समक्ष उत्पन्न होने वाली ऐसी ही चुनौतियों के बारे में विचारों का आदान प्रदान किया.
बयान के अनुसार फार्मा उद्योग और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े शोध एवं विकास के क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच पहले से जारी अच्छे सहयोग के मद्देनजर दोनों मंत्रियों ने आपसी लाभ के इस क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाने की संभावना के बारे में चर्चा की.
मंत्रालय ने बयान में कहा कि क्रोएशिया और भारत के मंत्रियों ने महामारी के समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व और इस क्षेत्र में सहयोग को भी रेखांकित किया.