हैदराबाद : दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया. इस वजह से दुनियाभर में कंपनियां बंद हो गई हैं, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रवासी श्रमिक हुए हैं. लॉकडाउन में काम-धंधे बंद होने और रोजगार खोने के बाद लाखों लोग अपने गृह राज्य लौट गए हैं. वहीं कई लाख लोग घर वापसी की उम्मीद में बैठे हुए हैं. ये लोग लंबे समय के लिए बेरोजगारी और गरीबी देख रहे हैं.
इस बीच प्रवासी श्रमिकों का एक अन्य समूह बिना सामाजिक सुरक्षा के विदेशों में फंसा हुआ है, जिसके पास रहने और खाने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं. यहां तक कि रोजगार बचाने के लिए लोग पूरा काम करने के बाद भी कम मजदूरी ले रहे हैं और वह कार्यस्थल पर ही रह रहे हैं, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना मुश्किल है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के कार्य और समानता विभाग की शर्तों की निदेशक मैनुएला टोमई (Manuela Tomei) ने कहा, 'यह महामारी के दौरान एक संभावित संकट है. हम जानते हैं कई लाख प्रवासी मजदूर, जो विदेशों में काम कर रहे थे, अपने काम खो चुके हैं. अब उन्हें वापस अपने देश आने की उम्मीद है. वहीं उनका देश भी पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था और और बढ़ती बेरोजगारी से जूझ रहा है. दुनियाभर के लिए सहयोग और योजना ही इस संकट को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगा.'
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की इंजन कहे जाने वाले छोटे और मध्यम आकार के उद्यम पर गहरा प्रभाव पड़ा है. कुछ ऐसे भी हैं, जो अब पहले की तरह नहीं चल सकते.
अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले लगभग दो अरब लोग ऐसे हैं, जिनकी कमाई में काम और सामाजिक संरक्षण के अधिकारों के बगैर संकट के पहले ही महीने में 60 फीसदी की कमी आई है.