नई दिल्ली : कव्वाली का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना बताया जाता है. साहित्य की इस शैली को हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य हजरत अमीर खोसरो ने शुरू किया. उनके दौर से ही दरगाहों में कव्वालियों की महफिल का आगाज हुआ.
खुसरो के दौर से ही दरगाहों में कव्वलियों का आयोजन शुरू हुआ और एक के बाद एक शानदार कव्वाली गायक सामने आए. ऐसे ही एक कव्वाल निजामी ब्रदर्स से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज 700 सालों से हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में कव्वाली गाते आ रहे हैं.
निजामी ब्रदर्स केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों में अपनी कव्वाली के फन के जौहर दिखाए हैं. इन के नाना हाजी अल्ताफ हुसैन खान को पद्म भूषण से सम्मनित किया जा चुका है.