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वैश्विक बर्फ पिघलने में काफी तेजी से हो रही है वृद्धि

लीड्स विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए एक सर्वे में पाया गया है कि 1994 और 2017 के बीच धरती से 28 ट्रिलियन टन बर्फ पिघल गई है, जिससे दुनियाभर में बर्फ पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है.

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Published : Jan 26, 2021, 7:06 PM IST

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हैदराबाद :एक नए शोध के अनुसार पूरे ग्रह से बर्फ गायब हो रही है वह पूरी दुनिया के लिए खतरनाक है. निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि 1994 और 2017 के बीच धरती से 28 ट्रिलियन टन बर्फ कम हो गई है, जो पूरे ब्रिटेन को कवर करने वाली 100 मीटर मोटी बर्फ की चादर के बराबर है.

आज (सोमवार, 25 जनवरी) ने एक शोध दल ने उपग्रह डेटा का उपयोग करके वैश्विक बर्फ नुकसान के एक सर्वेक्षण के आंकड़ें प्रकाशित किए हैं.

लीड्स विश्वविद्यालय के नेतृत्व में टीम ने पाया कि पृथ्वी से बर्फ के कम होने की दर में पिछले तीन दशकों के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 1990 के दशक में 0.8 ट्रिलियन टन प्रति वर्ष से 2017 तक 1.3 ट्रिलियन टन प्रति वर्ष हो गई.

दुनिया भर में बर्फ पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है, जिससे तटीय समुदायों को बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा प्राकृतिक आवासों को खत्म होने का खतरा पैदा हो जाता है, जिस पर वन्यजीव निर्भर रहते हैं.

शोध दल जिसमें यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और डेटा साइंस विशेषज्ञ अर्थवे शामिल हैं, के आंकड़े यूरोपीय जियोसाइंस यूनियन की पत्रिका द क्रायोस्फीयर में प्रकाशित हुए हैं.

बर्फ पिघलने में वृद्धि महासागरों के गर्म होने से शुरू हुई है, जो क्रमशः 1980 के बाद से 0.26 सेल्सियस से 0.12 सेल्सियस प्रति दशक गर्म हो गए हैं.

शोध के मुताबिक बर्फ पिघलने में वायुमंडल ने 68 फीसदी और महासागर का 32 फीसदी के योगदान है.

इस सर्वेक्षण में ग्रह के चारों ओर फैले 215,000 पर्वतीय ग्लेशियर, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में ध्रुवीय बर्फ की चादरें, अंटार्कटिका के चारों ओर तैरती बर्फ की शेल्वस और आर्कटिक और दक्षिणी महासागरों में समुद्री बर्फ शामिल हैं.

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बढ़ता0 वायुमंडलीय तापमान दुनिया भर में आर्कटिक समुद्री बर्फ और पहाड़ी ग्लेशियरों में गिरावट के मुख्य चालक रहा है, जबकि बढ़ते समुद्र के तापमान ने अंटार्कटिक बर्फ की चादर के पिघलने में वृद्धि की है.

ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर और अंटार्कटिक बर्फ की शेल्वस को महासागर और वायुमंडलीय तापमान ने काफी नुक्सान पहुंताने का काम किया है.

सर्वेक्षण अवधि के दौरान हर श्रेणी में बर्फ कम पाई गई, लेकिन सबसे बड़ा नुकसान आर्कटिक सागर की बर्फ (7.6 ट्रिलियन टन) और अंटार्कटिक बर्फ की शोल्वस (6.5 ट्रिलियन टन) को हुआ, जो दोनों ध्रुवीय महासागरों पर हैं.

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