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गांधी जी नहीं चाहते थे भारत बने हिन्दू राष्ट्र: इरफानहबीब

ईटीवी भारत से बात करते हुए मशहूर इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने बताया कि गांधी जी भारत को कभी भी हिन्दू राष्ट्र बनाना नहीं चाहते थे

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Published : Aug 20, 2019, 2:32 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 2:34 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते इरफान हबीब

लखनऊ :पद्म भूषण प्रोफेसर इरफान हबीब बताया कि गांधी जी भारत को कभी भी हिन्दू राष्ट्र बनाना नहीं चाहते थे. वो जहाँ भी जाते हिन्दू मुस्लिम पारसी सभी की बात करते

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रोफेसर इरफान हबीब बताया कि 1909 में, महात्मा गांधी ने हिन्द स्वराज लिखी इसमें भारत को लेकर गांधी जी की जो धारणा थी, वो बाद में बिलकुल बदल गयी.

ईटीवी भारत से बात करते इरफान हबीब

उनकी धरना में वो हर जगह हिन्दू, मुस्लिम और पारसी सबका नाम लेते, वो अगर कहते कि यहां शिक्षा दी जाय तो वो चाहते थे कि यहां मौलाना, पंडित और पारसी भी शिक्षा दे उनके लिए भारत का मतलब हिन्दू देश नहीं था.

हम उन्हें धर्मनिरपेक्ष नहीं कह सकते क्योंकि पंडित नेहरू की तरह, उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि धर्म क्या कहता है, जैसा वे करते हैं, वे उनके लिए भी वैसा ही करते.
लेकिन उन्होंने एक बात बाद में कही कि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि हर धर्म में कई चीजें हैं और हर धर्म में कुछ गलतियां हैंऔर मेरे धर्म में भी एक गलती है, इसलिए हर धर्म के साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए. गांधी जी के राम राज कहने का मतलब स्वराज था.

इरफ़ान हबीब ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे, लेकिन उनको आखरत के दिन पर यक़ीन था.

स्वतंत्र संग्राम में अलीगढ़ के योगदान को लेकर उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में यह याद रखना चाहिए कि मुहम्मद अली और शौकत अली दोनों अलीगढ़ के छात्र थे, MAO कॉलेज और MAO कॉलेज का प्रबंधन अंग्रेजो का वफादार था इसलिए उन्होंने हमेशा इसका विरोध किया और फिर अंग्रेजी की आलोचना की.

पढ़ें - आज भी प्रासंगिक है ग्राम स्वराज पर गांधी का नजरिया

उन्होने बताया कि जब यहां यूनिवर्सिटी बन रही थी तो गांधी जी ने नॉन कॉपरेशन आंदोलन शुरू किया. इस दौरान शौकत अली गांधी जी को अलीगढ़ ले आये और अलीगढ़ के लोग इस आंदोलन से जुड़े और जो छात्र यहां पढ़ रहे थे, तब छात्रों ने एमएओ कॉलेज छोड़ दिया क्योंकि वे अंग्रेजी ग्रांड से चल रहे थे.

उन्होंने जामिया मिलिया बनाया. बाद में, वे अलीगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित हो गए. गांधीजी ने हमेशा तिलक फंड में बहुत सारे पैसे दान किए, जिससे जामिया मिलिया को कई वर्षों तक मदद मिली.

भारतीय जनता पार्टी, जो कि उनकी कल्पना है, गांधीजी से अलग है। वह गांधीजी के विरोधी थे, क्या उन्होंने गांधीजी को सरदार पटेल की तरह मारे जाने पर गाली नहीं दी और अपने साथियों को नहीं दिया? यह कहा गया है कि उन्होंने मिठाइयां बांटी हैं जिन्हें ग्लकर ने अस्वीकार नहीं किया.

जब सरदार पटेल और नेहरू ने आरोप लगाया, तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि हमने मिठाई बांटी है, इसलिए गांधीजी के वध से क्या उम्मीद की जाए? वे गांधीजी की विचारधारा के अनुरूप हो सकते हैं, जाहिर है इसके विपरी.

Last Updated : Sep 27, 2019, 2:34 PM IST

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