हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि संकटकाल सबक लेकर आता है. पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले हिमाचल में भी बढ़े हैं. सभी लोगों को बाहरी राज्यों से आए लोगों का क्वारंटाइन का ध्यान रखने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि बीमारी से नफरत करें न कि बीमार से. बाहर आने वाला व्यक्ति आशा की किरण लेकर ही घर लौटा है.
धूमल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि रेड जोन से आने वाले व्यक्ति के साथ संक्रमण आया है, लेकिन लोग जागरूक हो रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. होम क्वारंटाइन की जगह संस्थागत क्वारंटाइन पर जोर दिया जा रहा है. सीएम जयराम ने भी संस्थागत क्वारंटाइन की ही बात कही है.
सलाह की जरूरत होगी तो देंगे
प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि जहां सरकार को सलाह की जरूरत होगी तो वहां दी जाएगी, लेकिन ये समय सहयोग का है. ये समस्या समाज पूरे देश और विश्व की है. हर व्यक्ति को अपना सहयोग और योगदान इस लड़ाई में देना चाहिए. कोरोना से हिमाचल प्रदेश को हुए नुकसान पर प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हिमाचल में पर्यटक उन्हीं क्षेत्रों से आते हैं जो आज रेड जोन में शामिल किए गए हैं, लेकिन सबसे पहले वर्तमान स्थितियों पर काबू पाने की है, ताकि कोरोना से छुटकारा मिले. जब कोरोना से छुटकारा मिलेगा इसके बाद ही आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी. इसके साथ ही पर्यटन भी बढ़ेगा, लेकिन इसके बाद दुनिया पूरी तरह से बदलेगी इसके लिए पूरी दुनिया को तैयार रहना होगा.
सबको लाभ मिलेगा
प्रेम कुमार ने मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए आर्थिक पैकेज पर कहा कि इससे सबको लाभ मिलेगा. मनरेगा मजदूर को काम मिलेगा और इसके बदले उन्हें पैसा मिलेगा. 3 लाख करोड़ रुपये का पैकेज लघु-मध्यम और कुटीर उद्योग के लिए दिया गया है. इससे इन उद्योगों में गतिविधियां बढ़ेंगी तो गरीबों को इसका लाभ मिलेगा. केंद्र सरकार ने ये बहुत बड़ा पैकेज दिया है. अभी तक सिर्फ छोटे-छोटे पैकेज जारी होते थे, लेकिन पीएम मोदी ने जीडीपी का 10 प्रतिशत पैकेज जारी किया है.
प्रेम कुमार धूमल ने श्रम कानूनों के बदलाव पर कहा कि पूंजी निवेश के लिए श्रम कानूनों में संसाधनों की ज़रुरत है. उद्योगपति अगर शोषण करेंगे तो सरकार इस पर पूनर्विचार करेगी. कई बार उद्योगपति कानून के शिकंजे में कसे रहते हैं. इसी कारण से वो निवेश नहीं करते, लेकिन श्रम कानून में बदलाव मजदूरों के हितों के खिलाफ नहीं है, लेकिन नियमों में बदलाव की आड़ में अगर उद्योगपति मजदूरों का शोषण करेंगे सरकार श्रम कानूनों में फिर संशोधन कर सकती है.