श्रीनगर : करीब 25 देशों के विदेशी राजनयिकों का दूसरा जत्था जम्मू-कश्मीर के दौरे पर है. प्रदेश के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि विदेशी दूत यहां बुलेवार्ड रोड पर एक निजी होटल में ठहरे हुए हैं. मौसम की वजह से उनके कार्यक्रम में थोड़ी तब्दीली की गई. कल उन्हें प्रसिद्ध डल झील और मोटरबोट की सवारी के लिए ले जाया गया.
विदेशी राजनयिकों ने स्थानीय मीडिया के कुछ प्रतिनिधियों से मुलाकात की. स्थानीय उद्यमियों और राजनीतिक नेताओं के साथ दोपहर का भोजन किया. संभव है कि उन्हें सेना से ब्रीफिंग और कुछ स्थानीय लोगों से मिल सकते हैं. उनके बीच युवा लोगों का एक समूह होगा, जिन्होंने 'स्किल्ड सोसाइटी' प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण हासिल किया है.
जम्मू और कश्मीर में इनके कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि गुरुवार को वे लोग जम्मू जाएंगे. साथ ही वे उप राज्यपाल जीसी मुर्मू और प्रशासन के कई अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.
अधिकारियों के मुताबिक इन विदेशी दूतों की यात्रा का उद्देश्य धारा 370 के निरस्त होने के बाद इस क्षेत्र की स्थिति के बारे में ग्राउंड जानकारी प्राप्त करना है.
इस बीच, भारत में अफगानिस्तान के दूत ताहिर कादिरी, जो जम्मू-कश्मीर के 25 सदस्यीय विदेशी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, ने दावा किया कि स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधियों ने ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा बाधित होने की जानकारी दी है.
उन्होंने ट्वीट किया, 'कश्मीरी मीडिया आउटलेट्स के साथ हमारी बातचीत में, मीडिया के लोगों ने गंभीरता से इंटरनेट ब्रॉडबैंड को बहाल करने का आग्रह किया, क्योंकि इससे उन्हें रिपोर्ट करने और खबरें प्रसारित करने में बहुत समस्या हो रही है,'
उन्होंने अपने आतिथ्य के लिए भी कश्मीरी लोगों की सराहना की और क्षेत्र के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने ये भी कहा कि हम अफगान दावा करते हैं कि हम मेहमान-नवाज़ (मेहमाननवाज) हैं, लेकिन कश्मीरी निश्चित रूप से ऐसे हैं. यहां हमने नौजवानों से साथ बातचीत की. इनमें वे लड़कियां भी शामिल हैं, जो बास्केट बॉल में गोल्ड मेडलिस्ट हैं. वे उम्मीदों से भरी हुई हैं. हम इस खूबसूरत घाटी और यहां के लोगों को बहुत सारी शुभकामनाएं देते हैं.
इस बीच, पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती की बेटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राजदूत सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत अधिकारियों के इंटरनेट प्रतिबंध और राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लेने के बारे में सवाल करेंगे.
'आशा है कि आप और यूरोपियन राजनयिक इंटरनेट प्रतिबंध के बारे में भारत सरकार से सवाल पूछेंगे कि 5 अगस्त से आर्थिक नुकसान हुआ है. स्थानीय मीडिया पर पाबंदी लगाई गई है. लोगों के बीच भय पैदा करने के लिए पीएसए, सेना की तैनाती के साथ तीन पूर्व सीएम को हिरासत में लिया गया. सामान्य स्थिति का दावा करना अभी किसी भ्रम जैसा ही है.
पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 प्रावधानों को निरस्त करने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह तीसरी यात्रा है. इससे पहले 9 जनवरी को, भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर सहित 15 दूतों की एक टीम ने इसी एजेंडे के साथ कश्मीर का दौरा किया था. हालांकि, यूरोपीय संघ ने यह कहते हुए इसे छोड़ दिया था कि वे किसी के मातहत जाना नहीं चाहेंगे. अक्टूबर में, यूरोपीय संघ के सांसदों के एक समूह अपनी निजी हैसियत में कश्मीर घाटी का दौरा किया था.
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