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आर्थिक हालात में सुधार, राजस्व घाटे पर 15वें वित्त आयोग में फैसला : सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण उपजी आर्थिक असंगतियों में बदलाव हो रहा है. उन्होेंने कहा है कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. आंध्र प्रदेश के राजस्व घाटे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका फैसला 15वें वित्त आयोग में लिया जाएगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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Published : Oct 8, 2020, 3:54 AM IST

अमरावती / विजयवाड़ा : केंद्र सरकार द्वार बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के बीच असमंजस औऱ असंतोष की स्थिति देखी गई. इस पर आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्ष बिना वजह और राजनीतिक लाभ उठाने की नीयत से इन कानूनों का विरोध कर रहा है. सीतारमण ने कहा ति इन कानूनों से आने वाले समय में देशभर के किसानों को फायदा मिलेगा.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को लेकर किसानों के बीच जागरुकता फलाने के लिए केंद्रीय मंत्री दौरे कर रहे हैं. इसी कड़ी में वित्त मंत्री सीतारमण बुधवार को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा पहुंची और किसानों से भेंट की. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए 'लॉकडाउन' के बाद देश की अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार साफ दिख रहा है.

वित्त मंत्री ने कहा कि जो संकेत हैं, वे काफी सकारात्मक हैं. उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था से जुड़े जो भी संकेत हैं, उसमें सुधार दिख रहा है...और यह पुनरूद्धार को बताता है.'

कृषि कानूनों पर सीतारमण ने कहा कि कुछ राज्यों में इसको लेकर हो रहा विरोध प्रदर्शन पूरी तरह से राजनीतिक है. उन्होंने कहा, 'वे केवल राजनीतिक मकसद से कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वे यह भूल गये कि 2019 के चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने यही वादा किया था.' उनका इशारा कांग्रेस की घोषणापत्र की तरफ था.

वित्त मंत्री सीतारमण ने गनावरम हवाईअड्डे के पास जकुला नेक्कलम गांव के किसानों से बातचीत की और कृषि संबंधी मुद्दों पर उनकी राय भी ली.

विजयवाड़ा में सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मेरी उद्योग प्रमुखों से बातचीत होती रहती है. उनका कहना है कि हम कोविड के पूर्व स्तर पर पहुंच गये हैं-अत: पुनरूद्धार साफ दिख रहा है.'

जीएसटी क्षतिपूर्ति के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की फिर 12 अक्टूबर को बैठक होगी. 'हमने सभी राज्यों के साथ पिछली बैठक में सात घंटे तक चर्चा की. हम फिर 12 अक्टूबर को बैठक कर रहे हैं. उसमें हम क्षतिपूर्ति से जुड़े मामले पर निर्णय करेंगे.'

दिलचस्प है कि जीएसटी संग्रह में कमी की भरपाई केंद्र एवं कुछ राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है. मुख्य रूप से गैर-भाजपा शासित राज्य चाहते हैं कि जीएसटी क्षतिपूर्ति केंद्र स्वयं कर्ज लेकर करे जबकि सरकार राज्यों को बाजार से या फिर रिजर्व बैंक से कर्ज लेने का विकल्प दे रही है.

आंध्र के राजस्व घाटा अनुदान का मामला

आंध्र प्रदेश को राजस्व घाटा अनुदान दिए जाने के मामले में सीतारमण ने कहा कि 15वें वित्त आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने माना कि केन्द्र और आंध्र प्रदेश सरकार के बीच राजस्व घाटा अनुदान को लेकर विवाद पिछले पांच साल से भी अधिक समय से सुलझ नहीं पाया है और इस मामले को वित्त आयोग को देखना चाहिए.

उन्होंने राज्य सरकार से कहा कि वह 15वें वित्त आयोग के साथ इस मामले पर विचार विमर्श करे और इस मामले में उसे फैसला करने दे. उन्होंने कहा, 'हां, यह मुद्दा सुलझा नहीं है, लेकिन इस बारे में 15वें वित्त आयोग को फैसला लेना है, वित्त मंत्रालय को नहीं.'

विजयवाड़ा में वित्त मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'जब मुझसे वित्त मंत्री मिले तो मैंने राज्य सरकार से भी यही कहा है.'

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने हाल की अपनी नई दिल्ली की यात्रा के दौरान केन्द्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि राज्य का राजस्व घाटा अनुदान का 18,830.87 करोड़ रुपये का बकाया अभी भी लंबित है.

आंध्र प्रदेश का बंटवारा होने के समय 2014 में केन्द्र सरकार ने राज्य के राजस्व अंतर को पूरा करने पर सहमति जताई थी तब केन्द्र ने इस राशि को वर्ष 2014-15 के लिये 4,117.89 करोड़ रुपये पर तय किया था. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुये यह राशि 22,948.76 करोड़ रुपये होने का दावा किया है.

केन्द्र सरकार ने 4,117.89 करोड़ रुपये में से भी अब तक केवल 3,979.50 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है. इसमें भी 138.39 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है.

सीतारमण ने कहा, 'मुझे राशि की जानकारी नहीं है, इसमें जो मुद्दा है, जिसका समाधान नहीं हुआ है और जिस पर मंत्रालय को काम करना है, यह देखते हुये कि यह 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित है. वहीं, 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, इसलिए इस मुद्दे पर विचार विमर्श की जरूरत है.'

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