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Published : Jun 30, 2019, 10:20 PM IST

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तीन तलाक के खिलाफ बुलंद की आवाज, अब शायरा बानो के जीवन पर बनेगी फिल्म

उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो का तीन तलाक के लिए संघर्ष तो सभी ने देखा है. अब जल्द ही शायरा बानो का ये संघर्ष बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगा. फिल्म निर्माता नितिन कुमार शायरा बानो की जिंदगी पर बायोपिक बनाने जा रहे हैं.

मीडिया से बात करती शायरा बानो

काशीपुर: उत्तराखंड के काशीपुर में तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली शायरा बानो एक बार फिर से चर्चाओं में हैं. मुस्लिम महिलाओं के लिए मिसाल बनी सायरा बानो की जीवनी जल्द ही पड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी. बताया जा रहा है कि फिल्म इंडस्ट्री शायरा बानो की बायोपिक तैयार कर रही है. जिसकी स्क्रिप्ट पूरी करने के उद्देश्य से फिल्म डायरेक्टर ने उन्हें मुंबई बुलाया है.

सायरा बानो के जीवन पर बनेगी फिल्म

बता दें कि उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो का निकाह साल 2002 में इलाहाबाद के रिजवान अहमद से हुआ था. ससुराल वालों की दहेज प्रताड़ना और फिर पति के तलाक देने के बाद शायरा बानो कोर्ट पहुंचीं. आरोप था कि पति ने शायरा बानो को लगातार नशीली दवाएं देकर उनकी याददाश्त को कमजोर कर दिया था. जिसके बाद साल 2015 में उनके पति ने टेलीग्राम भेजकर शायरा बानो को तीन तलाक दे दिया था.

जिसके बाद शायरा बानो ने मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहुविवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी. बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी.

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कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है. वहीं पति के पास निर्विवाद रूप से अधिकार होते हैं. यह भेदभाव और असमानता एक तरफा है जो तीन तलाक के तौर पर सामने आती है.
शायरा की पिटीशन पर बेंच ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. शायरा बानो पहली महिला बनीं जिन्होंने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह, निकाह और हलाला पर बैन लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी. जिस सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार को कानून बनाने के लिए कहा. जिसके बाद भारतीय संसद में जब ट्रिपल तलाक बिल पेश हुआ तो लोकसभा में यह बिल पास भी हो गया. हालांकि राज्यसभा में इसे रोक दिया गया. जिसके बाद सरकार ने अध्यादेश जारी कर इसे राष्ट्रपति के पास भेजा. जिस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए.

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