नई दिल्ली : चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए 38,900 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और अन्य हथियारों की खरीद को मंजूरी दी. भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में लगभग 33 लड़ाकू स्क्वाड्रन (लगभग 600 लड़ाकू विमान) हैं. 33 नए विमानों की खरीद के साथ यह संख्या 600 के पार हो जाएगी. फिर भी यह संख्या 800 लड़ाकू विमानों की वांछित ताकत से काफी कम है. चीन और पाकिस्तान के साथ मुकाबला करने के लिए भारत को तकरीबन 800 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है.
रक्षा मंत्रालय ने रूस से 33 नए फाइटर जेट खरीदने को मंजूरी दी है. इसमें 12 सुखोई 30 विमान और 21 मिग-29 विमान भी शामिल हैं. इसके साथ ही पहले से मौजूद 59 मिग-29 को अपग्रेड भी करवाया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 18,148 करोड़ रुपए बताई गई है.
21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जबकि, हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपए की लगात आएगी.
ये फैसले रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लिए गए. इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ने की. इन प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के समक्ष रखा जाएगा.
गौरतलब है कि रूस को भारत और चीन दोनों का करीबी माना जाता है. रूस ने चीन को एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति कर दी है, लेकिन भारत अभी मिसाइल रोधी प्रणाली का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है.
डीएसी ने पहले ही भारतीय वायुसेना के साथ 59 मिग-29 को अपग्रेड करने का निर्णय लिया था.
भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमान की डील हुई है, जिसकी पहली खेप इसी महीने के अंत तक भारत पहुंच जाएगी. एक राफेल स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरा उत्तरी पश्चिम बंगाल के हशिमारा में स्थित होगा.
बीते मार्च में डीएसी ने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के 83 M11A संस्करण के बेड़े को खरीदने के लिए लगभग 38,667 करोड़ रुपए दिए थे. लगभग 40 तेजस विमानों के अतिरिक्त ऑर्डर प्रक्रिया में है. नए अधिग्रहणों के साथ भारतीय वायुसेना 190 से अधिक लड़ाकू विमानों को अपने बड़े में शामिल करेगी.
हालांकि, भारतीय वायुसेना कर्मियों और विमानों के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. भारतीय वायुसेना को 40 मिलियन क्यूबिक किमी से अधिक के एयर स्पेस को कवर करना पड़ता है.
अब तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मुख्य हिस्से में सुखोई 30s, मिग-29 और मिराज-2000 शामिल हैं. वर्तमान में वायुसेना की आधी से अधिक ताकत चीन सीमा पर तैनात है. इसके विपरीत चीन के पास इंडिया-सेंट्रिक वेस्टर्न थिएटर कमांड (India-centric Western Theater Command) के तहत 200 से कम लड़ाकू विमान हैं, हालांकि चीन के पास ड्रोनों की संख्या अधिक है.
वहीं, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 38,900 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिसमें से 31,130 करोड़ रुपए की खरीदारी भारतीय उद्योग से होगी.