हैदराबाद : इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माने जाने वाले द्वितीय विश्व युद्ध समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया. इस दौरान कई अन्य युद्ध लड़े गए. यह 1939 से 1945 तक 30 से ज्यादा देशों की थल-जल-वायु सेनाओं के बीच लड़ा गया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और भी कई युद्ध हुए.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए अन्य युद्ध
स्टेलिनग्राद की लड़ाई - अगस्त 1942 से फरवरी 1943
स्टेलिनग्राद की लड़ाई द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बड़ा टकराव था, जिसमें लाल सेना (रूसी सेना) ने नाजी सेना (जर्मन सेना) को बुरी तरह से परास्त किया था. जर्मनी और उसके सहयोगियों ने दक्षिणी रूस में स्टेलिनग्राद (अब वोल्गोग्राड) शहर पर कब्जा करने के लिए सोवियत संघ से युद्ध किया था. यह इतिहास के खूनी युद्धों में से एक था. जर्मनी के सैनिकों ने अपनी पूरी ताकत से शहर को तबाह कर दिया था लेकिन स्टेलिनग्राद में रूस के सैनिकों से हार गए थे. इसके बाद जर्मन हाई कमांड को अपने नुकसान को बदलने के लिए पश्चिमी मोर्चे से विशाल सैन्य बलों को वापस लेना पड़ा था. इस दौरान लाखों लोगों की मौत हुई थी.
मिडवे की लड़ाई - जून 1942
मिडवे जापानी नौसेना के लिए एक भयावह हार थी, जिससे जापान पूरी तरह से कभी नहीं उबर पाया. इसका ज्यादातर श्रेय उन कोडब्रेकर्स को जाता है, जिन्होंने अमेरिकी बलों को घात करने की जापानी योजना का खुलासा किया था. इस दौरान अमेरिकी सेना को विभाजित करने की जापानी योजना भी विफल रही. इसके बाद अमेरिका ने जापानी वाहकों पर एक बड़ा हवाई हमला किया. टीबीएफ एवेंजर टौरपीडो बॉम्बरों को जापानी जीरो द्वारा बाधित किया गया था और नष्ट कर दिया गया था, लेकिन बाद में अमेरिका ने जवाबी हमला किया. यह जवाबी हमला तब हुआ जब जापानी विमान डेक पर ईंधन भर रहे थे. जापान के खिलाफ युद्ध के दौरान, तीन जापानी वाहक नष्ट हो गए थे.
डी-डे - 6 जून 1944
6 जून 1944 को फ्रांस के नॉरमंडी पर नाजियों के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोला गया. यहीं से दूसरे विश्व युद्ध के अंत की शुरुआत हुई. सैनिकों ने जर्मन सेना के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े सैन्य ऑपरेशन में भाग लिया. सैनिकों ने उत्तरी फ्रांस के नॉरमंडी शहर के तटीय इलाके पर गुपचुप तरीके से समुद्र के रास्ते घुसपैठ की. यह भूभाग जर्मनी के कब्जे में था. नॉरमंडी पर पहले हवाई हमला किया गया. तट पर कब्जा कर लेने के बाद युद्धपोत और जहाज वहां पहुंचे. पूरे इलाके को हजारों टैंकों से घेर लिया गया था. यह सफलता की एक बड़ी वजह यह थी क्योंकि जर्मन सेना इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थी. इस दौरान मित्र राष्ट्रों के लगभग दो हजार सैनिक मारे गए थे. इसके बाद एक हफ्ते के अंदर मित्र राष्ट्रों ने नॉरमंडी में तीन लाख से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिया था.
मास्को की लड़ाई - अक्टूबर 1941 से जनवरी 1942
मास्को पर 10 लाख से ज्यादा जर्मन सैनिकों ने हमला किया था. हिटलर ने सैनिकों को आदेश दिया था कि शहर पर कब्जा करने के बजाय उसे तबाह कर दिया जाए. जर्मन सैनिकों ने 15 नवंबर 1941 तक शहर के 18 मील के दायरे में लड़ाई लड़ी. इसके बाद रूसी प्रतिरोध से लड़ाई धीमी हो गई. तापमान में भारी गिरावट के बाद जर्मनी की सैनिकों के लिए अपनाई गई आपूर्ति श्रृंखला विफल होने लगी जिसको देखते हुए रूसी मार्शल जुकोव ने साइबेरियाई डिवीजनों में पलटवार किया. रूसी सैनिकों की कार्रवाई के बाद जनवरी तक जर्मन के सैनिकों को 100 मील से अधिक पीछे धकेल दिया गया था. इस दौरान कई रूसी सैनिक हताहत हुए.
कुर्स्क की लड़ाई - जुलाई से अगस्त 1943 तक
कुर्स्क के युद्ध को सबसे बड़ा टैंक युद्ध माना जाता है. कुर्स्क में, नाजियों ने रूसी सेनाओं को घेरकर नष्ट करने का लक्ष्य रखा. मित्र देशों के कोडब्रेकर्स की चेतावनी के बाद रूसियों को जर्मन हमले से बचने के लिए काफी समय मिल गया. इस दौरान रूसी सैनिकों ने रक्षात्मक रेखाओं का निर्माण कर लिया. जर्मनी ने रूस के महत्वपूर्ण शहर कुर्स्क पर अधिकार ने लिए अपने बीएफ109 लड़ाकू विमानों को भेजा, तो रूसी याक-1 की तुलना में बेहद शक्तिशाली थे. जैसे ही जर्मन आक्रमण रुका, मार्शल जुकोव ने पलटवार शुरू किया. इस युद्ध में जर्मनी की करारी हार हुई.
बर्लिन की लड़ाई - अप्रैल से मई 1945
बर्लिन की लड़ाई सबसे खूनी युद्धों में गिनी जाती है. पूर्ववर्ती सोवियत संघ की रेड आर्मी ने बर्लिन के बाहरी इलाके में प्रवेश कर लिया था. रेड आर्मी ने बर्लिन को पूरी तरह से घेर लिया. फिर चौतरफा कब्जे की लड़ाई शुरू हुई. टैंकों में रूसियों को फायदा था इसलिए सोवियत संघ के सैनिकों ने पूरी ताकत के साथ बर्लिन पर जमीन से लेकर हवाई गोले बरसाना शुरू कर दिए. इस युद्ध में हजारों सैनिकों सहित नागरिकों की मौत हुई. एडॉल्फ हिटलर ने जंग में अपनी हार स्वीकार की थी और आत्मसमर्पण करने की बजाय आत्महत्या कर ली. बर्लिन युद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी ने यूरोप के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया था.
फिलीपीन सागर की लड़ाई - जून 1944
प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी बल शक्तिशाली हो रहा था, इस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध की अंतिम महान वाहक लड़ाईयों में से एक फिलीपीन सागर की लड़ाई लड़ी गई. यह युद्ध जापानी के खिलाफ लड़ा गया. अमेरिका और जापान की नौसेना के बीच यह युद्ध हुआ था जिसमें अमेरिका के पास ज्यादा लड़ाकू वाहक थे. इस युद्ध को 'ग्रेट मारियानास टर्की शूट' नाम भी दिया गया था.
लूजॉन की लड़ाई - जनवरी से अगस्त 1945
जापान ने 1942 में फिलीपीन के सबसे बड़े द्वीप लुजॉन को कब्जे में ले लिया था. जनरल डगलस मैकार्थुर ने फिलीपींस वापस जाने को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना और 1945 में आक्रमण बल की कमान संभाली. जापानी सैनिकों के खिलाफ यह लड़ाई थी. इस युद्ध में 10 हजार अमेरिकी सैनिकों और दो लाख जापानी सैनिकों की मौत हुई.
खार्कोव की दूसरी लड़ाई - मई 1942
रूस ने जर्मन सेनाओं पर पलटवार करने के लिए 700 विमानों को तैयार किया. यह हमला उस वक्त नाकाम हो गया जब जर्मन सेना ने 900 से अधिक विमानों के साथ हमला बोल दिया. जर्मन सेना ने रूस की सेना को घेर लिया था जिसके बाद बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया. जर्मन सैनिकों की तुलना में 10 गुना ज्यादा रूसी सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे.
कोरल सागर की लड़ाई - मई 1942