नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा परियोजना' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुनाया. उच्चतम न्यायालय ने नए संसद भवन समेत अन्य इमारतों के निर्माण को मंजूरी दे दी है.
पर्यावरण विशेषज्ञों ने न्यायालय के इस फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि इस परियोजना से होने वाली पर्यावरणीय हानि के बावजूद, शीर्ष अदालत ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की मंजूरी देदी है.
राजपथ के दोनों तरफ का रास्ता सेंट्रल विस्टा कहलाता है. इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी दिये जाने और इसके लिए भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक बिन्दुओं पर सवाल उठाये गये थे.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया. इस पीठ ने पिछले साल पांच नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
इसपर ईटीवी भारत से बात करते हुए पर्यावरणविद् विमलेंदु झा ने न्यायालय के फैसले पर असहमति जताई. उन्होंने कहा कि इस परियोजना से पर्यावरणीय क्षति होगी. इस 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए कोई सार्वजनिक परामर्श नहीं लिया गया है. कोई पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिली है.