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NaMO टीवी पर 'चुनावी सामग्री' के प्रसारण पर सशर्त रोक, EC का फरमान

NaMo टीवी पर पहले से रिकॉर्ड की गई सामग्री के प्रसारण पर रोक. सभी राज्यों में चुनाव आयोग को भेजे गए निर्देश. सख्ती से पालन का फरमान. जानें क्या है पूरा मामला...

केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त और पीएम मोदी

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Published : Apr 17, 2019, 4:17 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 5:48 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने NaMo टीवी पर सख्त रूख अपनाया है. आयोग के फैसले के मुताबिक NaMo टीवी पर पहले से रिकॉर्ड की गई सामग्री का प्रसारण नहीं किया जा सकेगा. ये फैसला मतदान के दिन से 48 घंटे पहले प्रभावी होगा. हालांकि, इस अवधि में लाइव कवरेज की जा सकेगी.

दरअसल, नमो टीवी बीजेपी द्वारा स्पॉन्सर्ड बताया जाता है. इस संबंध में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की थी.

इस मामले में आयोग ने अपने ताजा फैसले में 'प्रसारण सामग्री' से जुड़े निर्देश दिए हैं. फैसले के मुताबिक चुनावी नियमों के तहत नमो टीवी पर पर 'साइलेंस पीरियड' (चुनाव प्रचार थमने के बाद) चुनावी सामग्री का प्रसार नहीं किया जा सकेगा. ये फैसला हर चरण के चुनाव में क्रमश: लागू किया जाएगा.

चुनाव आयोग के फैसले का अंश

आयोग ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से कहा है कि आगामी छह चरणों के लोकसभा चुनाव में निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए.

बता दें कि दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कंटेट को प्रमाणित करने के लिए नोडल अधिकारी हैं. टीवी चैनल या ऐसे अन्य माध्यमों पर देश भर में प्रसारित किए जाने से पहले सामग्री प्रमाणित किया जाते हैं. इसके लिए आयोग की मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमिटी (MCMC) काम करती है.

जनप्रतिनिधि कानून की धारा 126 के तहत मतदान के 48 घंटे पहले कई शर्तें लागू होती हैं. इसके तहत 'सिनेमैटोग्राफ, टीवी या अन्य ऐसे माध्यमों' पर 'चुनावी सामग्री' का प्रसारण प्रतिबंधित है.

इन 48 घंटों की अवधि को 'साइलेंस पीरियड' कहा जाता है. इस दौरान मतदाता चुनावी अभियान के प्रभाव में न आकर, खुद को निष्पक्ष मतदान करने के लिए तैयार करता है. हालांकि, धारा 126 प्रिंट मीडिया पर प्रभावी नहीं है.

आयोग के ताजा निर्देशों के बारे में सूत्रों ने बताया कि नमो टीवी के संबंध में 'साइलेंस पीरियड' को स्पष्ट करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.

बता दें कि गत गुरुवार को चुनाव आयोग ने अपने निर्देशों में कहा था कि ये बीजेपी से पोषित (sponsored) चैनल है. सभी रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रमों के प्रसारण से पहले इसे दिल्ली की MCMC कमिटी से प्रमाणित किया जाना जरूरी है. आयोग ने सभी गैर प्रमाणित चुनावी सामग्री को तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया था.

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कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 'सभी के लिए समान अवसर' से छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाते हुए नमो टीवी की शिकायत की थी. शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी.

इससे पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चुनाव पैनल को बताया था कि नमो टीवी एक विज्ञापन का प्लेटफॉर्म है. इसे मंत्रालय से किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती.

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने नमो टीवी के लोगो को प्रमाणित करने की बात कही थी. हालांकि, इसके कंटेट को प्रमाणित नहीं किया गया था. बीजेपी ने इसे नमो ऐप का हिस्सा बताया है. नमो टीवी के कंटेट में पीएम मोदी के पुराने भाषण हैं.

गत 11 अप्रैल को जारी निर्देश में निर्वाचन आयोग ने कहा था 'हमारे संज्ञान में ये बात आई है कि नमो टीवी/ कंटेंट टीवी जो एक एक प्लेटफॉर्म सेवा है, डीटीएच ऑपरेटर पेड आधार पर मुहैया करा रहे हैं.'

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इसमें आगे कहा गया 'MCMC से बिना जरूरी प्रमाणन के दिखाई जा रही कोई भी राजनीतिक सामग्री तत्काल हटाई जाए.' किसी भी राजनीतिक कंटेंट को चुनाव आयोग के संबंधित निर्देशों के आलोक में ही अनुमति दी जाए.

Last Updated : Apr 17, 2019, 5:48 PM IST

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