नई दिल्ली: केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने NaMo टीवी पर सख्त रूख अपनाया है. आयोग के फैसले के मुताबिक NaMo टीवी पर पहले से रिकॉर्ड की गई सामग्री का प्रसारण नहीं किया जा सकेगा. ये फैसला मतदान के दिन से 48 घंटे पहले प्रभावी होगा. हालांकि, इस अवधि में लाइव कवरेज की जा सकेगी.
दरअसल, नमो टीवी बीजेपी द्वारा स्पॉन्सर्ड बताया जाता है. इस संबंध में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की थी.
इस मामले में आयोग ने अपने ताजा फैसले में 'प्रसारण सामग्री' से जुड़े निर्देश दिए हैं. फैसले के मुताबिक चुनावी नियमों के तहत नमो टीवी पर पर 'साइलेंस पीरियड' (चुनाव प्रचार थमने के बाद) चुनावी सामग्री का प्रसार नहीं किया जा सकेगा. ये फैसला हर चरण के चुनाव में क्रमश: लागू किया जाएगा.
आयोग ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से कहा है कि आगामी छह चरणों के लोकसभा चुनाव में निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए.
बता दें कि दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कंटेट को प्रमाणित करने के लिए नोडल अधिकारी हैं. टीवी चैनल या ऐसे अन्य माध्यमों पर देश भर में प्रसारित किए जाने से पहले सामग्री प्रमाणित किया जाते हैं. इसके लिए आयोग की मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमिटी (MCMC) काम करती है.
जनप्रतिनिधि कानून की धारा 126 के तहत मतदान के 48 घंटे पहले कई शर्तें लागू होती हैं. इसके तहत 'सिनेमैटोग्राफ, टीवी या अन्य ऐसे माध्यमों' पर 'चुनावी सामग्री' का प्रसारण प्रतिबंधित है.
इन 48 घंटों की अवधि को 'साइलेंस पीरियड' कहा जाता है. इस दौरान मतदाता चुनावी अभियान के प्रभाव में न आकर, खुद को निष्पक्ष मतदान करने के लिए तैयार करता है. हालांकि, धारा 126 प्रिंट मीडिया पर प्रभावी नहीं है.
आयोग के ताजा निर्देशों के बारे में सूत्रों ने बताया कि नमो टीवी के संबंध में 'साइलेंस पीरियड' को स्पष्ट करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.