नई दिल्ली :दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक कोरोना का दूसरा चरण समाप्त हो गया है और कोरोना के नए मरीजों की संख्या में अब गिरावट शुरू हो गई है, लेकिन बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. कोरोना की वजह से काफी संख्या में डॉक्टरों की मौत भी हो रही है. ताजा आंकड़े के मुताबिक 515 डॉक्टर्स कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर वो हैं, जिनकी ड्यूटी कोविड एरिया में थी या जनरल प्रैक्टिशनर थे. इनमें भी ज्यादातर डॉक्टर पीडियाट्रिशियन थे.
कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित होने वाले डॉक्टरों के ऊपर एक स्वतंत्र स्टडी की गई. इसके मुताबिक पिछले छह महीने में मरने वाले हर तीन डॉक्टरों में एक डॉक्टर की संक्रमण के चलते मौत हो रही है. इस अध्ययन में 10 सितंबर तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है. 10 सितंबर तक कुल 515 डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई, जबकि 2,174 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए.
स्टडी का दिया हवाला
इस तरह से देखा जाए तो डॉक्टरों में कोरोना की वजह से मृत्यु दर 16.7 फीसदी है, जो सामान्य लोगों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. आम लोगों के कोरोना संक्रमण से मरने की आशंका 1.7 फीसदी ही है. इतना बड़ा अंतर इसलिए है, क्योंकि आम लोग हाई रिस्क जोन में नहीं होते हैं, जबकि डॉक्टर हमेशा हाई रिस्क जोन में होते हैं.
एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने स्टडी के हवाले से बताया कि किसी भी देश के मुकाबले भारत में कोरोना की वजह से डॉक्टर्स की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. आज की तारीख तक 515 डॉक्टर्स कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं.
पढ़ें :-कोरोना के खिलाफ मोदी के जनआंदोलन पर बोले शेखावत- बचाव ही उपाय