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कोरोना महामारी से निबटने में डिजिटल इंडिया की भूमिका अहम

चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना महामारी से पुरी दुनिया परेशान है. इस महामारी की वजह से एक ओर जहां कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है तो दूसरी ओर भारत जैसे देश में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा मिला है. इस दौरान भारत तेजी से डिजिटाइजेशन की तरफ बढ़ रहा है. इनमें ई-लर्निंग, ई-गवर्नेंस सहित अन्य प्रक्रियाएं शामिल हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में देश में डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया था. पढ़ें पूरी खबर...

digital india key to pandemic control
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Published : Jul 13, 2020, 5:39 PM IST

हैदराबाद : दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी ने कई देशों की अर्थव्यवस्था पर करारा प्रहार किया है. इस महामारी से निबटने के लिए सोशल डिस्टेशिंग और अन्य एहतियाती उपाय का पालन करना जरूरी है. इस संकट ने नवीन शिक्षा और शासन मॉडल के लिए मार्ग प्रशस्त किया है.

उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों में तेलंगाना सरकार ने एक कमान और नियंत्रण प्रणाली को मंजूरी दी, जो राज्यभर के सभी कलेक्ट्रेट और सार्वजनिक कार्यालयों की निगरानी करेगी. आज कोरोना वायरस ने सरकारों को रोकथाम उपायों के एक भाग के रूप में ई-गवर्नेंस को अपनाने के लिए मजबूर किया है.

इसके अलावा, डिजिटल मॉडल ज्यादा विश्वसनीय और पारदर्शी है. अधिकतर राज्य जोनल कार्यालयों और सचिवालय में ऑनलाइन प्रशासन को लागू करने के लिए कमर कस रहे हैं. केरल सभी सार्वजनिक और सहायता प्राप्त स्कूलों में ई-लर्निंग की शुरुआत करने वाला पहला राज्य है, जिसने 40 लाख छात्रों को डिजिटल पाठ्यक्रम दिया.

2014 में, केरल ने ई-कार्यलय लॉन्च किया, जो एक वेब एप्लिकेशन है और जिसने सरकार को पूरे कार्य की गति को स्वचालित करने में सक्षम बनाया.

हरियाणा सरकार भी चरणबद्ध तरीके से ई-ऑफिस प्रणाली लागू कर रही है. पूर्वोत्तर में प्रधानमंत्री मोदी के 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' वाले दृष्टिकोण को स्थापित करने के केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार है.

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ई-ऑफिस सिस्टम काम की गुणवत्ता को बढ़ावा देता है और पूरे समय को कम करता है. नागरिकों को सरकारी कार्यालयों में लंबी कतारों और रिश्वत से दूर कर सकता है. इसे वास्तविक रूप से लागू करने के लिए प्रत्येक नागरिक की इंटरनेट तक पहुंच होना चाहिए.

2015 में, भारत सरकार ने डिजिटल रूप से सशक्त समाज और अर्थव्यवस्था की जानकारी के दृष्टिकोण के साथ देश को बदलने के लिए डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया.

2022 तक प्रत्येक नागरिक को 50 एमबीपीएस पर सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड कवरेज प्रदान करने के उद्देश्य से नई दूरसंचार नीति का मसौदा तैयार किया गया था. इस वर्ष की शुरुआत में, केंद्र ने घोषणा की कि 1,30,000 गांवों और 48,000 ग्राम पंचायतों को भारतनेट परियोजना के माध्यम से डिजिटल रूप से जोड़ा गया, लेकिन वास्तविकता एक अलग तस्वीर को चित्रित करती प्रतीत हुई. सर्वेक्षण बताते हैं कि ग्राम पंचायतों का केवल आठ प्रतिशत ही डिजिटल रूप से कार्यात्मक हैं.

वर्तमान में भारत में 50 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं. एक नेशनल सैंपल सर्वेक्षण ने अनुमान लगाया कि देश के 11 प्रतिशत घरों में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा है.

भारत में 56 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता है. इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है जबकि ओओक्ला मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड इंडेक्स (Ookla’s Mobile Broadband Speed Index) की सूची में भारत 132 वें स्थान पर है. उसके मुकाबले श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल की रैंकिंग काफी बेहतर है.

घाटी में प्रतिबंधों के खिलाफ दलीलों की संख्या के जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा कि अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है.

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इसी तरह, केंद्र और राज्य सरकारों को डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए समन्वय के साथ काम करना चाहिए. सहज ई-गवर्नेंस और ई-लर्निंग भारत को आत्मनिर्भर बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.

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