हैदराबाद : दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी ने कई देशों की अर्थव्यवस्था पर करारा प्रहार किया है. इस महामारी से निबटने के लिए सोशल डिस्टेशिंग और अन्य एहतियाती उपाय का पालन करना जरूरी है. इस संकट ने नवीन शिक्षा और शासन मॉडल के लिए मार्ग प्रशस्त किया है.
उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों में तेलंगाना सरकार ने एक कमान और नियंत्रण प्रणाली को मंजूरी दी, जो राज्यभर के सभी कलेक्ट्रेट और सार्वजनिक कार्यालयों की निगरानी करेगी. आज कोरोना वायरस ने सरकारों को रोकथाम उपायों के एक भाग के रूप में ई-गवर्नेंस को अपनाने के लिए मजबूर किया है.
इसके अलावा, डिजिटल मॉडल ज्यादा विश्वसनीय और पारदर्शी है. अधिकतर राज्य जोनल कार्यालयों और सचिवालय में ऑनलाइन प्रशासन को लागू करने के लिए कमर कस रहे हैं. केरल सभी सार्वजनिक और सहायता प्राप्त स्कूलों में ई-लर्निंग की शुरुआत करने वाला पहला राज्य है, जिसने 40 लाख छात्रों को डिजिटल पाठ्यक्रम दिया.
2014 में, केरल ने ई-कार्यलय लॉन्च किया, जो एक वेब एप्लिकेशन है और जिसने सरकार को पूरे कार्य की गति को स्वचालित करने में सक्षम बनाया.
हरियाणा सरकार भी चरणबद्ध तरीके से ई-ऑफिस प्रणाली लागू कर रही है. पूर्वोत्तर में प्रधानमंत्री मोदी के 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' वाले दृष्टिकोण को स्थापित करने के केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार है.
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ई-ऑफिस सिस्टम काम की गुणवत्ता को बढ़ावा देता है और पूरे समय को कम करता है. नागरिकों को सरकारी कार्यालयों में लंबी कतारों और रिश्वत से दूर कर सकता है. इसे वास्तविक रूप से लागू करने के लिए प्रत्येक नागरिक की इंटरनेट तक पहुंच होना चाहिए.