नई दिल्ली : राज्य सभा में बृहस्पतिवार को पीडीपी के एक सदस्य ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद वहां नजरबंद नेताओं को तत्काल रिहा किया जाए.
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए पीडीपी सदस्य मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा कि करीब एक साल पहले पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटा लिए गए थे और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि उस समय हजारों की संख्या में वहां के नेताओं को नजरबंद किया गया था. इनमें से कुछ को रिहा कर दिया गया, लेकिन कुछ अब भी नजरबंद हैं, या जनसुरक्षा कानून के तहत जेल में निरूद्ध हैं.
फैयाज ने कहा कि उनकी पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी इन नेताओं में से एक हैं. फैयाज ने कहा कि महबूबा पर तीसरी बार जनसुरक्षा कानून की धाराएं लगा दी गईं. उन पर इल्जाम है कि उनकी वजह से देश को खतरा है. कभी केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक प्रमुख घटक दल के साथ गठबंधन कर पीडीपी की जम्मू-कश्मीर में सरकार थी.
उन्होंने सभी नजरबंद तथा जनसुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की. भाजपा के सुरेंद्र सिंह नागर ने जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची का मुद्दा उठाते हुए मांग की कि इस सूची में गूजरी भाषा और पहाड़ी भाषा को भी शामिल किया जाना चाहिए.