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केसर के बाद कश्मीर के प्रसिद्ध लैवेंडर फूल की मांग बढ़ी

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Published : Sep 22, 2020, 3:19 PM IST

कश्मीर की वादियों में केसर की तरह, लैवेंडर के पौधे की खेती की जाती है. इन्हें मुख्य रूप से इसके सुगंधित फूलों के लिए जाना जाता है. इन फूलों से दवाओं का निर्माण किया जाता है. आइए जानते हैं अनंतनाग में कैसे की जाती है लैवेंडर की खेती....

Demand for lavender flowers after saffron
लैवेंडर की खेती

अनंतनाग : कश्मीर घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आकर्षण के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. यहां के सेब, अखरोट, केसर के साथ अन्य किस्मों के प्राकृतिक फल कई देशों में निर्यात किए जाते हैं.

इसके अलावा कश्मीर की खूबसूरत वादियों में पैदा होने वाली केसर की तरह, लैवेंडर नामक फूल की भी खेती की जाती है, जो दुनियाभर में काफी मशहूर है. इन फूलों की खेती क्षेत्र के कुछ स्थानों पर ही की जाती है. विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर और मध्य कश्मीर के कुछ जिलों में इसकी खेती की जाती है. विशेषकर लालमंडी लैवेंडर की खेती के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है.

लैवेंडर की खेती

दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में बजभारा निर्वाचन क्षेत्र के सरहामा इलाके में कुछ साल पहले एक लैवेंडर फार्म स्थापित किया गया था, जो कृषि विभाग के अधिकारियों की देखरेख में है. विभाग फूलों की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम कर रहा है और साथ ही उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं. इस उद्योग के कारण विभाग भारी मुनाफा कमा रहा है.

बता दें कि लैवेंडर के पौधे की खेती मुख्य रूप से इसके सुगंधित फूलों के लिए की जाती है, जिसमें बहुत ही अनोखा रंग होता है. लैवेंडर के पौधों से फूल निकालने के बाद, इसे प्रसंस्करण के लिए पुलवामा जिले के अलपोरा में भेजा जाता है. जहां राज्य प्रशासन द्वारा एक अत्याधुनिक निष्कर्षण संयंत्र स्थापित किया गया है.

लैवेंडर के फूलों का उपयोग
कश्मीर की घाटियों में उगाए गए लैवेंडर से निकाला गया तेल विभिन्न दवाओं में उपयोग किया जाता है. यह मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है, बाजार में इस तेल की अच्छी मांग है.

इस संबंध में, जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने लैवेंडर फार्म के अनुसंधान सहायक कमल जी बट से बात की, तो उन्होंने कहा कि खेत में लगभग 3.5 हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है और विभाग को प्रति हेक्टेयर दो लीटर तेल प्राप्त होता है.

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कमल ने कहा कि पिछले साल लैवेंडर प्लांट ने 70 क्विंंटल फूलों का उत्पादन किया था. बाजार में इसकी कीमत लगभग बीस हजार रुपये प्रति लीटर है. इस तरह, लैवेंडर की खेती से विभाग को अच्छी आय प्राप्त होती है.

अनुसंधान सहायक का कहना है कि कृषि विभाग ऐसी चीजों के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए किसान मेलों का आयोजन करता है. उन्होंने कहा कि अब लोग धीरे-धीरे इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं.

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