रायपुर : छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में एक बेटी सुरती साहू ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें मुखाग्नि देकर यह साबित कर दिया है कि बेटियां अब बेड़ियां तोड़ने लगी हैं.
जिले के मरका गांव से दुखद, लेकिन साहस से भरी तस्वीर सामने आई है. यहां पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने न सिर्फ शव को कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर फर्ज भी निभाया. मरका गांव के सरपंच रोहित साहू की मृत्यु हो गई. उनकी इच्छा थी कि बेटी सुरती ही उन्हें मुखाग्नि दे, अंततः बेटी ने पिता की ये इच्छा पूरी की.
सुरती ने वो सारे रीति रिवाज निभाये, जो मृत्यु के पश्चात होते हैं और जिन पर बेटों का नाम लिखा होता है, सुरती ने उसे मिटाकर एक नई लकीर खींची. ऐसा कहा जाता है कि माता-पिता को बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है. इस रीति के उलट रोहित और सुरती दोनों ने ये साबित किया कि कोई बात पत्थर की लकीर नहीं होती. बच्चे हमेशा समान होते हैं.