रांची: कोरोना संक्रमण की वजह से ऑनलाइन माध्यम के भरोसे लगभग सभी तरह के काम चल रहे है. यह आगे भी जारी रहेगा, लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर साइबर अपराधियों के फैलाये जाल में हर दिन-हर पल फंस कोई न कोई अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो रहे हैं. बड़े साइबर अपराध को लेकर थोड़े समझदार हुए तो साइबर अपराधियों ने बच्चों और टीनएजर्स को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. आलम यह है कि अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर साइबर अपराधी उनके परिजनों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. दूसरी तरफ, साइबर बुलिंग के जरिये भी, मासूम टीनएजर्स को निशाना बना रहे हैं. साइबर अपराधी स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें अपने ही मा-बाप और समाज के नजरों में गुनाहगार बना रहे हैं. साइबर बुलिंग के जरिये अपराधी छात्रों को टारगेट कर रहे है.
साइबर अपराधियों के जाल में फंसते टीनएजर्स और बच्चे लगातार निशाने पर हैं टीनएजर्स
झारखंड में साइबर अपराधियों के निशाने पर अब बच्चे भी हैं. बच्चों को आसानी से अपने जाल में फंसा कर और उनके परिजनों के खाते पर हाथ साफ कर रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहरों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें साइबर अपराधियों ने बच्चों को अपने जाल में फंसा कर उनके मां-बाप के खाते से पैसे गायब कर दी.
रांची से आया पहला मामला
लॉकडाउन के दौरान 26 मई को राजधानी रांची के चुटिया इलाके में एक 13 वर्षीय नाबलिग बच्चे को ब्लैकमेल कर साइबर अपराधियों ने उसके ही घर में उसे गुनाहगार बना दिया. जब यह मामला सामने आया तो राजधानी रांची के कई गार्जियंस के होश उड़ गए. दरअसल साइबर अपराधियों ने चुटिया के रहने वाले एक 13 वर्षीय नाबालिग बच्चे का इंस्ट्रगाम एकाउंट हैक कर बच्चे को अश्लील फोटो डाल देने के नाम पर ब्लैकमेल किया, जिसके बाद बच्चे ने डर कर अपने पिता का अकाउंट डिटेल चोरी छिपे साइबर अपराधियों को दे दिए, जिसके बाद साइबर्स ठगों ने एकाउंट से 81 हजार रुपये उड़ा लिए.
यह तो गनीमत है कि समय रहते बच्चे के परिजनों को मामले की जानकारी हो गई और उन्होंने अकाउंट से पूरे पैसे गायब होने से पहले ही बैंक को पूरी जानकारी देकर अपना एकाउंट ब्लॉक करवा लिया. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ एक मात्र घटना है, जिसमें एक 13 वर्षीय छात्र को ब्लैकमेल कर साइबर अपराधियों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया.
धनबाद में भी आया मामला
धनबाद में तो ऑनलाइन चैटिंग कर एक नाबालिग को अपने प्रेम जाल में फंसा कर नाबालिग के दादा के एकाउंट से 11 लाख रुपये उड़ा लिए. दरअसल कोरोना संक्रमण के दौरान इंटरनेट पर लोगों की बढ़ी निर्भरता का फायदा बड़े ही चतुराई से साइबर अपराधियों ने उठाया है. चाहे दफ्तर का काम हो, स्कूल की पढ़ाई हो, मनी ट्रांजैक्शन हो या फिर मनोरंजन की तलाश. फिलहाल इंटरनेट ही लोगों का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है और इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं.
वह फर्जी वेबसाइट या सोशल प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट बनाकर यूजर को झांसे में डालकर ठगी कर रहे हैं. इन सबके बीच स्कूल और कॉलेज के छात्र उनके सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार पिछले आठ महीने के दौरान दुनिया भर में वेबसाइट बनाने के लिए करीब 1.5 लाख डोमेन नेम रजिस्टर्ड कराए गए हैं. जिनमें से अधिकांश साइबर अपराधियों के हैं. साइबर अपराधी यह जानते हैं कि वर्तमान समय में स्कूल-कॉलेज और छात्र-छात्राएं इंटरनेट का बहुत ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं, ऐसे में वे फेक वेबसाइट और ऐप के जरिए उन्हें फंसा रहे हैं.
क्या है साइबर बुलिंग
साइबर एक्सपर्ट की भाषा में अगर हम बात करें तो साइबर बुलिंग का मतलब होता है किसी से दोस्ती कर उसे जानबूझकर परेशान करना. सोशल मीडिया पर निजी या सार्वजनिक संदेश के जरिए यह साइबर बुलिंग की जाती है. इसमें अमूमन लोग दूसरे का नाम लेकर उनको ब्लैकमेल करते है, कुछ लोग इसका इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए भी करते हैं. लेकिन अब इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. वह पहले स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं के दोस्तों का फेसबुक-इंस्टाग्राम जैसे एकाउंट हैक करते हैं और फिर छात्रों के साथ उनके ही दोस्त बनकर चैटिंग शुरू कर देते हैं. धीरे धीरे साइबर्स अपराधी उनके साथ घुलमिल जाते हैं और उनके पर्सनल जानकारियां भी हासिल कर लेते हैं. उसके बाद शुरू होता है उनके द्वारा ब्लैकमेलिंग का खेल. झारखंड पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि इस तरह के मामले झारखंड में वर्तमान में बहुत ज्यादा आ रहे हैं. हालांकि अधिकांश शिकायतें पुलिस तक नहीं आ पाती हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं इन मामलों में बच्चों का ही दोष होता है. वे पढ़ाई के दौरान ही दूसरे साइट्स पर जाते हैं और वहां साइबर अपराधी उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं. रांची के सिटी एसपी अनीश सौरभ के अनुसार साइबर अपराध से बचने का एकमात्र उपाय जानकारी और सतर्कता ही है.
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दहशत में परिजन
इधर साइबर अपराधियों के नई तरह की ठगी से गार्जियन भी दहशत में हैं, दरअसल लॉक डाउन के दौरान अधिकांश बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए ही पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन पढ़ाई के दौरान ही बच्चे मौका मिलते ही दूसरे साइट पर जाकर या तो वीडियो गेम खेलने लगते हैं या फिर चैटिंग करने लगते हैं और इसी दौरान उन्हें साइबर अपराधी अपना निशाना बनाते हैं. राजधानी रांची में तो अति सावधानी बरतते हुए गार्जियन पढाई के दौरान अब बच्चों के साथ ही बैठ रहे हैं.
बचाव के भी हैं उपाय
छात्रों के बीच साइबर अपराधों को लेकर पुलिस लगातार जागरूकता अभियान भी चला रही है. साइबर डीएसपी सुमित बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि बच्चों को साइबर अपराधियों से बचाने के उपाय नहीं. इंटरनेट पर ही कई ऐसे ऐप मौजूद हैं जो ब्राउजिंग हिस्ट्री की पूरी निगरानी करते हैं. अगर आप इन पैरंटरल ऐप को अपने सिस्टम में इंस्टॉल कर और फिर उसे अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए देते हैं तो बच्चों के पढ़ाई करने के बाद आप बकायदा उनके सारे चैट, बच्चे किन-किन वेबसाइट पर उस दौरान गए इसकी जानकारी ले सकते हैं. इस दौरान अगर गार्जियन को किसी भी तरह के आपत्तिजनक चैट नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए.
जानकारी देते रांची के सिटी एसपी बढ़ रहे है ब्लैकमेलिंग के मामले
रांची के सिटी एसपी सौरव बताते हैं कि साइबर ब्लैक मेलिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे मामले हैं जिनमें बच्चे साइबर अपराधियों के चंगुल में इस तरह फंस जाते हैं कि वह आत्महत्या जैसे कदम को भी उठाने की कोशिश करते हैं. साइबर अपराधी डेटिंग साइट के जरिये सेक्स को अपना हथियार बना रहे. खासकर टीनेजर्स को फेक तस्वीर के जरिये फंसा उन्हें ब्लैकमेल करते है.
जानकारी देते साइबर सेल के डीएसपी साइबर पुलिस कुछ सुझाव भी दे रहे हैं जिसके जरिए बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों को साइबर अपराधियों से बचा सकते हैं. जैसे अगर पैरंटरल ऐप पर कोई आपत्तिजनक जाए या फिर कुछ ऐसा नजर आता है जो संदिग्ध है तो ऐसे में उसे तुरंत डिलीट ना करके मामले की जानकारी साइबर थाने को देनी चाहिए. अनजान कॉल, मैसेज, ई-मेल को नजरअंदाज करना चाहिए.
किसी लुभावने ऑफर के चक्कर में अपनी गोपनीय जानकारियां किसी को ना दें. बच्चों को अपना मित्र बनाएं, उनके बीच समय दें. वैसे भी लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेज बंद हैं. ऐसे में बच्चों को पूरा समय देना चाहिए और उनके साथ दोस्त के जैसा व्यवहार कर उनकी सारी बातों को जानना चाहिए. सोशल साइट पर किसी अनजान के अकाउंट के फोटो-वीडियो या ऑडियो को लाइक व शेयर ना करें. ऑनलाइन क्लासेज एक से दो घंटे के होते हैं ऐसे में परिजन कोशिश करें कि वह बच्चों के साथ मौजूद रहें. बच्चों को अपने अकाउंट की डिटेल ना दें. घर के एटीएम और बैंक से जरूरी दूसरे दस्तावेज बच्चों की पहुंच से दूर रखें.