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बिहार चुनाव : कोई नहीं मान रहा कोरोना वाले नियम, प्रोटोकॉल का यह है हाल

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन देखने को मिला है. चुनाव आयोग की कोविड- 19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी के बाद भी चुनावी रैलियों में भारी तादाद में लोग बिना मास्क लगाए और सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते हुए देखे गए. बिहार चुनाव के प्रचार में भाग लेने वाले कई नेता कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. इनमें भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं.

बिहार चुनाव
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Published : Oct 29, 2020, 8:23 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 9:42 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही देश वासियों से अपील की थी कि वह सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और त्योहारों के इस मौसम में कोरोना से संबंधित सभी प्रोटोकॉल को अपनाएं. यही नहीं उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस बात का अंदेशा जताया था कि अक्टूबर से नवंबर माह के बीच कोविड-19 का प्रसार और भी ज्यादा पीक पर पहुंच सकता है.

इसके बाद भी बिहार की रैलियों में जिस तरह की भीड़ प्रधानमंत्री से लेकर विपक्ष के नेताओं की रैलियों में देखने को मिल रही है, वह भी बगैर मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग के और जिस तरह से यह नेता इस भीड़ को देखकर उत्साहित और तालियां बजवा रहे हैं, उसे देख कर ऐसा लगता है बिहार सरकार को खुद ही कोविड-19 प्रोटोकॉल की चिंता नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार की रैलियों में जमा भीड़ और ज्यादातर चेहरे बगैर मास्क के दिखे. इसी तरह तेजस्वी यादव की सभाओं में उमड़ रही भीड़ और सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां अपने आप में गवाह है कि प्रधानमंत्री की अपील और चुनाव आयोग की चेतावनी के बावजूद बिहार चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग का कितना ध्यान रखा जा रहा है.

आंकड़े देखें तो इस साल जुलाई तक ही मात्र भाजपा के ही बिहार प्रदेश अध्यक्ष सहित 75 नेता कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए थे. यही नहीं बिहार सरकार के एक मंत्री की भी मौत हो चुकी है. वहीं केंद्रीय नेताओं में से भी एक-एक कर अभी तक बिहार चुनाव से प्रचार कर लौटे शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, स्मृति ईरानी जैसे वरिष्ठ नेता कोविड-19 पॉजिटिव हो चुके हैं. इसके बाद भी किसी भी पार्टी को कोविड-19 प्रोटोकॉल की चिंता करते नहीं देखा जा रहा है.

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पहले यह चर्चा हो रही थी कि कोरोना काल में सरकार के लिए और सभी पार्टियों के लिए चुनाव कराया जाना एक चुनौती होगी. मगर इन चुनौतियों को दरकिनार करते हुए सभी नेता जिस तरह से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और जिस तरह से तमाम पार्टियों के नेताओं के बीच यह होड़ सी लगी हुई है कि किसकी चुनावी सभाओं में कितनी भीड़ है, उसे देखते हुए लगता नहीं कि बिहार में कोरोना को लेकर सरकार किसी भी तरह से गंभीर है.

चुनाव आयोग ने भी नेताओं को चेतावनी दी थी और इससे संबंधित सेफ्टी नियमों को फॉलो करने की कड़ी हिदायत दी गई थी, लेकिन इसका असर न तो नेताओं पर है और न ही जनता में देखने को मिल रहा है.

रैलियों में जमा हजारों की भीड़ और ज्यादातर चेहरे से मास्क गायब है, जो राजनीतिक दलों को उनकी जिम्मेदारी तक याद नहीं दिला रहे, ताकि वह मंच से कम से कम यही अपील कर सकें कि लोग मास्क लगाकर आएं.

बिहार में पहले चरण का चुनाव हो चुका है और अब तीन और सात नवंबर को दूसरे और तीसरे चरण का चुनाव होना है.

हालांकि, बिहार सरकार ने कुछ दिन पहले ही यह दावा किया था कि वह प्रतिदिन डेढ़ लाख के करीब कोरोना वायरस की जांच करवा रही है. इसके बाद बिहार में कोरोना की संख्या में कहीं न कहीं कमी आई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर इस तरह से लापरवाही बरती गई तो इनकी संख्या काफी ज्यादा बढ़ सकती है, क्योंकि सरकार जो टेस्ट करवाती है, वह रैपिड एंटीजन टेस्ट डाटा होता है, जिसका परिणाम 30 मिनट में आता है और यह बहुत ज्यादा ऑथेंटिक नहीं माने जा रहे हैं. इनकी प्रामाणिकता 30 फीसदी के बराबर ही मानी जा रही है. कोरोना मरीजों के गिनती करना कहीं न कहीं खानापूर्ति मात्र है.

Last Updated : Oct 29, 2020, 9:42 PM IST

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