नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही देश वासियों से अपील की थी कि वह सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और त्योहारों के इस मौसम में कोरोना से संबंधित सभी प्रोटोकॉल को अपनाएं. यही नहीं उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस बात का अंदेशा जताया था कि अक्टूबर से नवंबर माह के बीच कोविड-19 का प्रसार और भी ज्यादा पीक पर पहुंच सकता है.
इसके बाद भी बिहार की रैलियों में जिस तरह की भीड़ प्रधानमंत्री से लेकर विपक्ष के नेताओं की रैलियों में देखने को मिल रही है, वह भी बगैर मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग के और जिस तरह से यह नेता इस भीड़ को देखकर उत्साहित और तालियां बजवा रहे हैं, उसे देख कर ऐसा लगता है बिहार सरकार को खुद ही कोविड-19 प्रोटोकॉल की चिंता नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार की रैलियों में जमा भीड़ और ज्यादातर चेहरे बगैर मास्क के दिखे. इसी तरह तेजस्वी यादव की सभाओं में उमड़ रही भीड़ और सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां अपने आप में गवाह है कि प्रधानमंत्री की अपील और चुनाव आयोग की चेतावनी के बावजूद बिहार चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग का कितना ध्यान रखा जा रहा है.
आंकड़े देखें तो इस साल जुलाई तक ही मात्र भाजपा के ही बिहार प्रदेश अध्यक्ष सहित 75 नेता कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए थे. यही नहीं बिहार सरकार के एक मंत्री की भी मौत हो चुकी है. वहीं केंद्रीय नेताओं में से भी एक-एक कर अभी तक बिहार चुनाव से प्रचार कर लौटे शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, स्मृति ईरानी जैसे वरिष्ठ नेता कोविड-19 पॉजिटिव हो चुके हैं. इसके बाद भी किसी भी पार्टी को कोविड-19 प्रोटोकॉल की चिंता करते नहीं देखा जा रहा है.
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